भारतीय रिजर्व बैंक ने महाराष्ट्र के दो और तेलंगाना के एक बैंक पर भारी मौद्रिक जुर्माना लगाया है। इस संबंध में आरबीआई ने 5 जून गुरुवार को नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इनपर केवाईसी और लोन से संबंधित नियमों का सही से अनुपालन न करने का आरोप है। जांच के दौरान आरोपों की पुष्टि होने के बाद ही RBI ने पेनल्टी लगाने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा एक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी को भी जुर्माना लगाया गया है।
31 मार्च 2024 को किए गए एक निरीक्षण के दौरान आरबीआई को यह पता चला कि बैंक दिशानिर्देशों का सही से अनुपालन नहीं कर रहे हैं। जिसके बाद कारण बताओं नोटिस जारी किया गया। आगे जांच जारी रही। बैंक की ओर से नोटिस पर प्राप्त प्रतिक्रिया और अन्य मौखिक प्रस्तुतियों को देखते हुए मॉनिटरी पेनल्टी लगाने का निर्णय लिया गया। हालांकि इसका प्रभाव ग्राहकों और कस्टमर के बीच हो रहे ट्रांजैक्शन या किसी भी एग्रीमेंट पर नहीं पड़ेगा।
इन बैंकों और कंपनियों पर लगा जुर्माना
- अदिलाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, तेलंगाना- एक लाख रुपये
- रतनचंद शाह सहकारी सहकारी बैंक लिमिटेड, मंगलवेड़ा, महाराष्ट्र- 2 लाख रुपये
- पूर्णवाड़ी नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, बीड, महाराष्ट्र- एक लाख रुपये
- पेमी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड- 2 लाख रुपये
बैंकों ने किया इन नियमों का उल्लंघन
महाराष्ट्र में स्थित इस बैंक ने केवाईसी और एसएएफ पर जारी किए गए कुछ दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी की जाने वाली ब्याज दरों की तुलना में जमा राशियों पर अधिक ब्याज दरों की पेशकश की। एसएएफ के तहत जारी नियमों का पालन न करते हुए कुछ मामलों में नए लोन और एडवांस के लिए लागू एकल उधारकर्ता जोखिम सीमा का उल्लंघन किया। इसके अलावा प्रत्येक व्यक्तिगत ग्राहक के लिए एक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड के बजाय कुछ ग्राहकों को कई पहचान को आवंटित आवंटित।
बैंक ने एलटीवी अनुपात की निर्धारित सीमा से अधिक कुछ गोल्ड लोन स्वीकृत किए थे। इसके अलावा निर्धारित समय के भीतर कुछ ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री पर अपलोड भी नहीं कर पाया। इसके अलावा अदिलाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड ने निदेशकों के संबंधित लोन स्वीकृत किए।
कंपनी पर क्यों लगा जुर्माना?
पेमी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड ने सीओआर से संबंधित दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पब्लिक डिपॉजिट को स्वीकार किया। इसके अलावा अपनी चुकता इक्विटी पूंजी के 26 प्रतिशत से अधिक शेयरहोल्डर्स में बदलाव करने के लिए आरबीआई से पूर्व लिखित अनुमति भी नहीं ली।





