भारत के सभी बैंकों और एनबीएफसी को रेगुलेटर करने की जिम्मेदारी आरबीआई की है। जब भी बैंकिंग सेक्टर में नियमों का उल्लंघन होता है, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कार्रवाई करता है। इस बार एक पब्लिक सेक्टर बैंक के खिलाफ केन्द्रीय बैंक ने कार्रवाई की है। लाखों का जुर्माना लगाया है। एग्रीकल्चरल लोन से जुड़े नियमों को तोड़ने का आरोप है।
आरबीआई ने बीआर एक्ट के 47 ए (1) (सी), सेक्शन 46 (4)(i) और सेक्शन 51 (1) के तहत प्रदान की गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर 63.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। मॉनेटरी पेनल्टी का आदेश 23 मई 2025 को जारी किया है। इसके अलावा ट्रांसेक्ट्री टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (लैंडबॉक्स) पर भी 40 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना ठोका है।

यूबीआई ने तोड़े ये नियम (RBI Action)
यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया ने कुछ मामलों में 1.60 लाख रुपये तक के एग्रीकल्चर लोन के लिए कॉलेटरल सिक्योरिटी भी प्राप्त नहीं की थी। इसके अलावा निर्धारित अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पात्र राशि ट्रांसफर भी नहीं कर पाया। केन्द्रीय बैंक ने 31 मार्च 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में एक वैधानिक निरीक्षण किया था। इस दौरान दिशा निर्देशों के गैर अनुपालन का मामला सामने आया। इसके बाद बैंक को नोटिस भी जारी किया गया। व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की प्रस्तुतियों और नोटिस पर प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर जुर्माना लगाने का फैसला लिया गया।
ग्राहकों के लिए चिंता की बात नहीं
यह दिशा निर्देशों के अनुपालन में खामियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य ग्राहकों और बैंकों के बीच हो रहे लेनदेन या एग्रीमेंट पर कोई प्रभाव डालना नहीं है। जिन भी लोगों का खाता इस बैंक में है, उन्हें चिंता के लिए आरबीआई का एक्शन चिंता का विषय नहीं है। वे पहले की तरह ही सभी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कंपनी पर लगे ये आरोप
कंपनी ने निर्धारित “फंड ट्रांसफर मेकैनिज्म” का उल्लंघन करते हुए पी2पी प्लेटफार्म में लोन खातों में वितरित और एकत्र की गई राशि को उधारकर्ताओं खाते के जरिए से भेजा। संभावित ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं के क्रेडिट मूल्यांकन और जोखिम प्रोफाइल का खुलासा भी नहीं कर पाया। इसके अलावा व्यक्तिगत ऋणदाताओं की विशेष स्वीकृति के बिना व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को लोन वितरित किया।