रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का बड़ा एक्शन 11 अगस्त 2025 को सामने आया है। दो सहकारी बैंक और एक कंपनी पर मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है। केवाईसी समेत कई बैंकिंग नियम तोड़ने का आरोप है। उत्कल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड भुवनेश्वर पर “एसएएफ”, “सहकारी बैंकों द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों की सदस्यता” और “केवाईसी” पर जारी RBI के कुछ निर्देशों का अनुपालन न करने का आरोप है।
ओडिशा में स्थित इस बैंक पर 2.53 लाख रूपये मौद्रिक जुर्माना लगाया है। बैंक ने आरबीआई की पूर्व स्वीकृति के बिना पूंजीगत व्यय किया। कंपनियों को ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी प्रस्तुत करने में भी विफल रहा। इसके अलावा केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री पर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को अपलोड भी नहीं कर पाया।खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा के लिए सिस्टम स्थापित करने में भी करने में भी यह बैंक विफल रहा, जिसकी आवधिकता कम से कम 6 महीने में एक बार होनी चाहिए थी।
छतीसगढ़ के इस बैंक पर भी लगा जुर्माना
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर आरबीआई ने एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया है। बैंक के वित्त स्थिति के संदर्भ में 31 मार्च 2024 को नाबार्ड ने एक संवैधानिक निरीक्षण किया था।इस दौरान दिशा निर्देशों के अनुपालन में खामियों का खुलासा हुआ, जिसके बाद आरबीआई ने कारण बताओं नोटिस शादी किया।जांच के दौरान दी गई प्रस्तुतियां, बैंक के रिप्लाई प्रस्तुति और दस्तावेज के आधार पर पेनल्टी लगाने का फैसला लिया गया। दरअसल, बैंक पात्र दावा न की गई राशि को डिपॉजिटर्स एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में निर्धारित समय के भीतर ट्रांसफर नहीं कर पाया।
इस कंपनी पर चला आरबीआई का डंडा
एल्टम क्रेडो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड, पुणे महाराष्ट्र पर आरबीआई ने 10 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है।नेशनल हाउसिंग बैंक ने कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटस को चेक करने के लिए मार्च 2023 और मार्च 2024 में निरिक्षण किया था। निर्देशों के अनुपालन में खामियों को लेकर कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। आरोपों की पुष्टि होने के बाद पेनल्टी लगाई गई। कंपनी खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की प्रणाली स्थापित करने में विफल रहा, जिसकी आवधिकता कम से कम 6 महीने में एक बार होनी चाहिए थी।
क्या ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बैंको और कम्पनियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई दिशानिर्देशों के अनुपालन में खामियों पर आधारित है। इस असर ग्राहकों और बैंको के बीच होने वाले ट्रांजैक्शन या एग्रीमेंट पर नहीं पड़ेगा।





