Success Story of Dinesh Aggarwal : कहते हैं अगर पूरी दुनिया साथ दे तब भी इंसान कुछ नहीं कर पाता क्योंकि उसके अंदर मेहनत और दृढ़ निश्चय की कमी होती है, लेकिन जो व्यक्ति अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित कर लेता है। वह उसको पाना चाहता है, तो पूरी कायनात उसे दिलाने में लग जाती है। इसके लिए भले ही लंबा वक्त क्यों ना लगे, लेकिन अगर वह व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव से मेहनत करता चला जाए, तो वह एक-न-एक दिन सक्सेसफुल इंसान जरूर बनता है। चाहे पढ़ाई की बात हो या फिर काम की बात हो वैसे भी इन दिनों बच्चे बड़े-बड़े बिजनेसमैन की प्रेरणादायक स्टोरी को पढ़कर एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं। वह उसे प्राप्त करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। ऐसे में आज हम आपको सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं दिनेश अग्रवाल की…
मिली पहचान
साल 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने भारत में इंटरनेट के आगमन की घोषणा की थी, जिसने देश में एक नई क्रांति की शुरुआत की। इसी दौरान अमेरिका में एचसीएल के साथ काम कर रहे दिनेश अग्रवाल ने अपनी नौकरी छोड़ने का एक कठिन निर्णय लिया। उस समय उनके पास भविष्य की कोई ठोस योजना नहीं थी, लेकिन उन्होंने भारत में इंटरनेट की लहर का लाभ उठाने का संकल्प किया। दिनेश अग्रवाल ने इंटरनेट के इस नए अवसर को पहचानते हुए इंडियामार्ट की स्थापना की। आज इंडियामार्ट का बाजार पूंजीकरण 17,244.01 करोड़ रुपये है। आज इंडियामार्ट को भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन बी2बी (बिजनेस-टू-बिजनेस) मार्केटप्लेस के रूप में स्थापित कर दिया।
ऐसे रखी नींव
दिनेश अग्रवाल का जन्म 19 फरवरी 1969 को हुआ था। उन्होंने कानपुर में हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद दिनेश ने कई कंपनियों के साथ काम किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सीएमसी से की, जिसे बाद में टाटा की कंपनी टीसीएस (Tata Consultancy Services) ने अधिग्रहित कर लिया। इसके बाद दिनेश ने अमेरिका में एचसीएल (Hindustan Computers Limited) के साथ काम किया। 1995 में भारत में इंटरनेट की शुरुआत के बाद, उन्होंने एचसीएल की नौकरी छोड़कर भारत लौटने का साहसिक निर्णय लिया। भारत लौटने के बाद दिनेश अग्रवाल ने महसूस किया कि भारतीय निर्यातकों के लिए एक वेबसाइट बनाकर उनकी जानकारी को एकत्रित किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने इस विचार को स्वीकृति नहीं दी। इसके बावजूद, दिनेश ने एक फ्री लिस्टिंग फॉर्म तैयार किया और इसे सभी विक्रेताओं को भेजा। इस तरह अनुमति प्राप्त कर उन्होंने विक्रेताओं की जानकारी को सार्वजनिक किया। इसी पहल ने IndiaMart की नींव रखी।
मंदी का असर
इंडियामार्ट की प्रारंभिक टैगलाइन थी – “द ग्लोबल गेटवे टू इंडियन मार्केटप्लेस”। दिनेश अग्रवाल ने इस कंपनी की शुरुआत महज 40,000 रुपये के निवेश से की थी। 2007-08 के आर्थिक संकट ने वैश्विक बाजार में कई कंपनियों को प्रभावित किया, लेकिन इस संकट ने भारत को बी2बी (B2B) बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया। अमेरिकी मंदी का असर विश्वभर में महसूस होने लगा और निर्यात का काम धीमा हो गया। इस दौरान दिनेश अऔर उनके चचेरे भाई ब्रिजेश ने इंडियामार्ट का फोकस निर्यात से भारत के बी2बी बाजार पर बदल दिया।
करोड़ों की संपत्ति
इंडियामार्ट ने 2010 में 52 सप्ताह के भीतर 52 नए ऑफिस खोले, जो कंपनी की तेजी से बढ़ती सफलता को दर्शाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिनेश अग्रवाल की कुल संपत्ति 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है। ट्रेंडलाइन के मुताबिक, 31 मार्च 2024 तक उनकी 9 कंपनियों में हिस्सेदारी है।