SBI और BoB की अगुवाई में डिजिटल फ्रॉड पर सबसे बड़ा हमला, ₹500 करोड़ से बनेगी नई इंटेलिजेंस कंपनी

देश में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा एक नई डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस कंपनी बना रहे हैं। इसमें सभी 12 सरकारी बैंक हिस्सेदारी लेंगे और यह रियल-टाइम में धोखाधड़ी का पता लगाकर उसे रोकेगी।

  1. SBI और BoB मिलकर ₹500 करोड़ की इंडियन डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस कॉरपोरेशन (IDPIC) बना रहे हैं, जो डिजिटल फ्रॉड रोकने पर केंद्रित होगी।
  2. यह कंपनी कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित की जाएगी।
  3. सभी 12 सरकारी बैंक इसमें हिस्सेदारी लेने की उम्मीद है ताकि फ्रॉड मॉनिटरिंग को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट किया जा सके।
  4. RBI ने कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन को मंजूरी दे दी है, और इसका प्रोटोटाइप RBI इनोवेशन हब द्वारा विकसित हो रहा है।
  5. यह कदम बढ़ते डिजिटल फ्रॉड (36,000 करोड़ रुपये FY24-25 में) को रोकने और AI आधारित रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने की दिशा में बड़ा प्रयास है।

नई दिल्ली: देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) ने एक बड़ी पहल की है। दोनों बैंक मिलकर एक डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म का गठन करेंगे, जिसका मुख्य उद्देश्य रियल-टाइम में धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता लगाना और उन्हें रोकना होगा।

इस नई कंपनी का नाम इंडियन डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस कॉरपोरेशन (IDPIC) होगा। सूत्रों के मुताबिक, देश के सभी 12 सरकारी बैंकों से इस प्रस्तावित इकाई में इक्विटी हिस्सेदारी लेने की उम्मीद है। यह कदम बैंकिंग सिस्टम में जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, क्योंकि डिजिटल लेनदेन बढ़ने के साथ ही धोखाधड़ी भी एक बड़ा खतरा बनी हुई है।

₹500 करोड़ की पूंजी से होगी शुरुआत

प्रस्तावित IDPIC को कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसकी अधिकृत पूंजी 500 करोड़ रुपये और चुकता पूंजी 200 करोड़ रुपये होगी। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में SBI और BoB की ओर से 10-10 करोड़ रुपये की फंडिंग की जाएगी।

एक बैंक कार्यकारी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा, “शुरुआत में एसबीआई और बीओबी के दो वरिष्ठ कार्यकारी इस फर्म में निदेशक के रूप में शामिल होंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन को अपनी मंजूरी दे दी है।

“बैंक ऑफ बड़ौदा भी इतनी ही राशि का निवेश करेगा, और लगभग सभी बैंक बोर्ड पर हैं और फर्म में हिस्सेदारी लेंगे।” — एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी

क्यों पड़ी इस प्लेटफॉर्म की जरूरत?

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बैंक धोखाधड़ी में शामिल राशि मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष में लगभग तीन गुना बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह 12,230 करोड़ रुपये थी। यह प्लेटफॉर्म इसी बढ़ते खतरे से निपटने के लिए बनाया जा रहा है।

फिलहाल, गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए नोडल पॉइंट के रूप में काम करता है। इसके अलावा, बैंक MuleHunter.AI जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल का भी उपयोग कर रहे हैं, जिसे आरबीआई ने म्यूल खातों का पता लगाने के लिए विकसित किया है। ‘म्यूल अकाउंट’ वे बैंक खाते होते हैं जिनका इस्तेमाल अपराधी अवैध धन को ट्रांसफर करने के लिए करते हैं।

आरबीआई की बड़ी योजना का हिस्सा

यह पहल आरबीआई की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने पुष्टि की थी कि बैंकिंग नियामक एक डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म लागू कर रहा है, जिसका प्रोटोटाइप आरबीआई के इनोवेशन हब द्वारा विकसित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा था, “इसे चलाने के लिए एक इकाई स्थापित की जा रही है। इसका मूल विचार कई स्रोतों—जैसे म्यूल अकाउंट, टेलीकॉम, भौगोलिक स्थिति आदि—से जानकारी एकत्र करना और इस डेटा पर एक एआई सिस्टम को प्रशिक्षित करना है।” यह कदम भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के पूर्व अध्यक्ष ए पी होता की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिशों के बाद उठाया गया है।


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