इस सिस्टम में यूपीआई पेमेंट्स की सत्यता (authenticity) चेक की जा सकती है। यह यूनिक यूपीआई आईडी सेबी से रजिस्टर्ड संस्थाओं, जैसे ब्रोकर्स और म्यूचुअल फंड्स, के लिए होगी। चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने बताया कि यह सिस्टम निवेशकों को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि वे सही और वैध संस्था को पेमेंट कर रहे हैं। इस पहल से फर्जी सोशल मीडिया दावों और हाई रिटर्न के झूठे वादों से होने वाले फ्रॉड को रोका जाएगा। सिस्टम जल्द शुरू होगा, लेकिन इसका इस्तेमाल वैकल्पिक रहेगा।
इसमें यूपीआई हैंडल “@payright” जैसे यूनिक नाम और बैंक का नाम से होगा, जैसे “abc.bkr@payrighthdfc”। पेमेंट करते समय एक खास ग्रीन थम्स-अप आइकन दिखेगा, जो दर्शाएगा कि संस्था वैध है। अगर यह आइकन न दिखे, तो निवेशकों को सावधान रहने की चेतावनी मिलेगी। पहले 2019 में यूपीआई को सिक्योरिटीज मार्केट में पेमेंट मोड के रूप में शुरू किया था। अब कैपिटल मार्केट ट्रांजैक्शंस की लिमिट को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रतिदिन करने का प्रस्ताव भी दिया है, जिस पर NPCI के साथ समय-समय पर समीक्षा होगी।

निवेशकों के लिए नया टूल
इस पहल को “SEBI Check” नाम दिया है, जो यूपीआई हैंडल की वैलिडिटी चेक करने का टूल है। यह निवेशकों को फर्जी संस्थाओं से बचाएगा, जो हाई रिटर्न का लालच देकर फंड्स लूटती हैं। सेबी के मुताबिक, अनरजिस्टर्ड संस्थाएं निवेशकों को गुमराह कर रही हैं। इस टूल से पेमेंट करने से पहले यूजर्स KYC-वेरिफाइड यूपीआई आईडी की पुष्टि कर सकेंगे। यह सिस्टम सेबी, NPCI, बैंकों और रजिस्टर्ड संस्थाओं के बीच सहयोग से काम करेगा। लागत कम होगी, क्योंकि मौजूदा बैंक खातों का इस्तेमाल होगा। सेबी ने इस पर 21 फरवरी 2025 तक जनता से सुझाव मांगे थे।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
रजिस्टर्ड संस्थाएं अपने मौजूदा बैंक खातों से यूपीआई आईडी ले सकेंगी। NPCI केवल “सेल्फ-सर्टिफाइड सिंडिकेट बैंकों” को “@payright” हैंडल देगा। बैंक सेबी के इंटरमीडियरी पोर्टल पर OTP के जरिए संस्थाओं को वेरिफाई करेंगे। पेमेंट करने पर ग्रीन थम्स-अप आइकन दिखेगा, जो वैलिडिटी की गारंटी देगा। अगर आइकन न दिखे, तो निवेशक जोखिम से सावधान हो सकते हैं। यह सिस्टम अक्टूबर 2025 से पूरी तरह ऑपरेशनल होने की उम्मीद है। इसके अलावा, रेगुलेटर की ऑफिसियल वेबसाइट के जरिए बोनाफाइड इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट्स को फीस पेमेंट की सुविधा भी शुरू होगी।