Amul Success Story : अमूल कंपनी की शुरूआत साल 1946 में गुजरात के आणंद जिले में हुआ था। उस समय स्थानीय दुग्ध उत्पादकों को उनके दूध के बदले उचित मूल्य नहीं मिल पाता था और उनका शोषण भी किया जाता था। इससे नाराज होकर वे एक सहकारी समिति बनाने के लिए एकत्रित हुए। 1946 में सरदार वल्लभभाई पटेल और त्रिभुवनदास पटेल के नेतृत्व में किसानों ने एक सहकारी समिति का गठन किया। इस समिति का नाम “काइरा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड” रखा गया। यही समिति बाद में अमूल के नाम से प्रसिद्ध हुई।
ऐसे हुई शुरूआत
बता दें कि साल 1940 के दशक में पॉलसन डेयरी का दबदबा था। यह कंपनी किसानों से बहुत कम कीमत पर दूध खरीदती थी, जिससे किसान आर्थिक संकट में थे। जिस कारण किसानों ने इसके खिलाफ विद्रोह किया। किसानों ने पॉलसन डेयरी के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। साल 1949 में डॉ. वर्गीज कुरियन इस आंदोलन में शामिल हुए। डॉ. कुरियन के नेतृत्व में अमूल ने ‘श्वेत क्रांति’ की शुरुआत की, जिसने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया, जिन्हें ‘भारत का दूध का आदमी’ (Milkman of India) भी कहा जाता है। 1955 तक कैरा यूनियन के पास ही अमूल ब्रांड नेम था। बाद में इस ब्रांड नेम को गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) को ट्रांसफर किया गया।
टैगलाइन ने बनाया लोकप्रिय
अमूल की “Taste of India” टैगलाइन ने ब्रांड को घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। उनका प्रसिद्ध ‘अमूल गर्ल’ विज्ञापन आज भी लोगों की यादों में ताजा है। वहीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल की सफलता को देखकर इसे पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया। शुरुआत में कुछ किसानों ने मिलकर 247 लीटर दुग्ध उत्पादन किया। आज अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक संस्था है। इसके पास वर्तमान में 16 मिलियन से ज्यादा दुग्ध उत्पादक हैं, जो देशभर में 185,903 डेयरी को-ऑपरेटिव सोसायटी में दूध की सप्लाई करते हैं।