Success Story of Dettol : जब भी हमारे शरीर पर एलर्जी होती है, तो सबसे पहले अगर किसी साबुन का नाम दिमाग में आता है तो वह डिटॉल है। बता दें कि डिटॉल वैश्विक एंटीसेप्टिक ब्रांड है। इसकी शुरुआत से लेकर आज तक के सफर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। साल 1930 के दशक में इसे अस्पताल में एंटीसेप्टिक के रूप में यूज किया जाता था। इसका उपयोग शुरू में सर्जरी करने वाले उपकरणों को साफ करने और ऑपरेशन के बाद संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता था। धीरे-धीरे इसका एंटीबैक्टीरियल गुण लोगों के बीच काफी ज्यादा फेमस हो गया।
कंपनी ने बढ़ाए प्रोडक्ट
इसका विस्तार 1950 और 1960 के दशकों में हुआ, जब डिटॉल अस्पतालों से निकलकर आम जनता के घरों में प्रवेश किया। इस दौरान कंपनी ने अपने प्रोडक्ट बढ़ाए और अपने पोर्टफोलियो में साबुन, हैंडवॉश सहित अन्य चीजों को शामिल किया। इस तरह यह आज करोड़ों लोगों का विश्वास जीत लिया। आज हर घर में हर वर्ग के लोग इसका नियमित इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, इसका इस्तेमाल घावों की सफाई, संक्रमण की रोकथामके लिए भी किया जाने लगा।
चलाया जागरूकता अभियान
डिटॉल ने समय-समय पर सामाजिक जागरूकता अभियान भी चलाए। इसकी ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और अन्य स्वास्थ्य संबंधी अभियानों में भागीदारी रही है। स्कूलों में हैंडवॉश कार्यक्रम, अस्पतालों में स्वच्छता जागरूकता अभियान और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता शिक्षा ने ब्रांड को और अधिक मजबूत किया। कंपनी ने समय के साथ नई तकनीकों से अपने प्रोडक्ट को और बेहतर बनाने का प्रयास किया। कंपनी ने एलोवेरा और कूलिंग मेंथॉल के साथ साबुन और हैंडवॉश लॉन्च किए। इसका इस्तेमाल घावों की सफाई, संक्रमण की रोकथामके लिए भी किया जाने लगा।
लाखों लोग करते हैं भरोसा
बता दें कि डिटॉल केवल एक देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रांड दुनिया भर में प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों में इसके प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए डिटॉल ने स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अपने प्रोडक्ट को बेहतर बनाया। जिस कारण डिटॉल आज दुनिया के बेस्ट स्वच्छता ब्रांडों में से एक है, जिस पर लाखों लोग भरोसा करते हैं।