कई बार जब यूजर्स यूपीआई के जरिए लेनदेन करते हैं, ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है। इन विवादों का समाधान करने की सुविधा नेशनल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया है। लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एनपीसीआई ने UPI चार्जबैक से जुड़े नियमों और प्रक्रियाओं में बदलाव किया है। इतना ही नहीं यदि कोई यूजर गलती से दूसरे अकाउंट में पैसे भेज देता, तो इस स्थिति में बैंक से पैसों के वापसी कली माँग करने की सुविधा भी मिलेगी।
इन नियमों का उद्देश्य चार्जबैक प्रोसेस में देरी को कम करना है। कई शिकायतें मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। इससे संबंधित सर्कुलर जारी हो चुका है। अब बैंक एनपीसीआई के पूर्व अनुमोदन के बिना खुद ही कुछ अस्वीकृत चार्जबैक को उठा पाएंगे। नए नियम 15 जुलाई से लागू होंगे। वर्तमान में यदि बैंक का चार्जबैक रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दिया है भले ही विवाद असली हो, बैंक को संदर्भ शिकायत प्रणाली या यूआरसीएस के जरिए एनपीसीआई को संपर्क करना पड़ता है। इस प्रक्रिया में काफी देरी
कब होगा लाभ?
नई प्रणाली से यूपीआई ट्रांजेक्शन फेल होने पर अकाउंट से काटे गए पैसे तुरंत वापस आएंगे। यूजर्स को इससे राहत मिलेगी। बैंकों को अधिक अधिकार मिलेगा, एनपीसीआई के हस्तक्षेप के बिना चार्जबैक उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसके अलावा पुराने विवादों की दोबारा जांच होगी। जिन लोगों का चार्जबैक क्लेम पहले खरीज हो चुके हैं, उनका समाधान हो सकता है।
इन नए नियमों को भी जान लें?
बीते कुछ दिनों में एनपीसीआई यूपीआई से संबंधित कई बदलाव कर चुका है। 16 जून को ट्रांजेक्शन स्पीड को 30 सेकंड से घटाकर 10 से 15 मिनट कर दिया गया है। बैंकों को सिस्टम अपग्रेड करने का आदेश भी दिया गया है। वहीं 1 अगस्त से यूपीआई के जरिए बैंक बैलेंस चेक पर भी लिमिट होगी। ऐप के जरिए सिर्फ 50 बार बैलेंस चेक करने की अनुमति होगी। इसके अलावा ऑटोपे मैंडेट सिर्फ पीक आवर्स में प्रोसेस किए जाएंगे। ट्रांजेशन के साथ बैलेंस का अलर्ट भी बैंक भेजेंगे।





