करियर टिप्स: 10वीं के बाद छात्र करें 5 शॉर्ट-टर्म कोर्स, बढ़ेगा कौशल और ज्ञान, भविष्य में होगा फायदा

कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा खत्म होने के बाद छात्रों के पास काफी समय होता है। इस दौरान वे कई नए कोर्स कर सकते हैं। नए स्किल सीख सकते हैं। आइए जानें कौन-सा कोर्स बेहतर विकल्प रहेगा?

Manisha Kumari Pandey
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Career Tips: सीबीएसई कक्षा दसवीं की परीक्षाएं 18 मार्च को खत्म हो चुकी है। रिजल्ट घोषित होने में अभी काफी समय बाकी है। कॉलेज और स्कूलों में एडमिशन भी अभी शुरू नहीं हुआ है। इस दौरान छात्रों के पास काफी समय बचा रहता है। उन्हें समझ नहीं आता क्या करें?

दसवीं में अच्छे अंक लाना बहुत जरूरी होता है। लेकिन आप 2 से 3 महीने का इस्तेमाल कुछ नया सीखने में कर सकते हैं। अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है। ऐसे कुछ शॉर्ट कोर्सेज हैं, जिसे छात्र दसवीं के बाद कर सकते हैं। इससे उनके लिए नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। भविष्य में फायदा भी होगा।

मार्केटिंग के जुड़े ये दो कोर्स करें

  • डिजिटल मार्केटिंग इन दिनों काफी डिमांड में है। दसवीं के शॉर्ट टर्म डिजिटल मार्केटिंग के कोर्स कर सकते हैं। इससे उन्हें मार्केट से जुड़ी टेक्नोलॉजी का पता चलेगा। इन पाठ्यक्रम को 3 महीने से लेकर 2 साल में पूरा किया जा सकता है।
  • सोशल मीडिया मार्केटिंग डिप्लोमा कोर्स इन दोनों ट्रेडिंग है। सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स की अवधि 6 महीने से लेकर 1 साल होती है। इस विषय में छात्रों को सोशल मीडिया के जरिए मार्केटिंग की की स्किल और नॉलेज के बारे में पढ़ाया जाता है।

कंप्यूटर और आईटी में है रुचि तो करें ये दो कोर्स 

  • यदि आपको कंप्यूटर और आईटी सेक्टर में रुचि है तो आप 10वीं के बाद साइबर सिक्योरिटी से जुड़े कोर्सेज कर सकते हैं। इनकी अवधि 12 से 14 हफ्ते होती है। इसमें छात्रों को सिक्योरिटी प्रोटोकॉल, ऑनलाइन खतरे, एंटीवायरस सॉफ्टवेयर, नेटवर्क प्रोटोकॉल्स जैसी  चीजों के बारे में पढ़ाया जाता है।
  • प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कोर्स भी काम का साबित होगा। छात्र दसवीं के बाद C++, जावा एसक्यूएल पीएचपी जैसे शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट प्रोग्राम कर सकते हैं। इनकी अवधि भी 3 से 6 महीने होती है।

ग्राफिक डिज़ाइनिंग

छात्र रुचि के के हिसाब से  ग्राफिक डिजाइनिंग और 3D एनीमेशन के कोर्स कर सकते हैं। इन दोनों कोर्स के प्रोफेशनल की डिमांड काफी ज्यादा है। यह टेक्निकल स्किल आपके लिए नौकरी के अवसर भी पैदा कर सकता है। इन पाठ्यक्रमों की अवधि 6 से 18 महीने की होती है।

 


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