प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने बड़ा कदम उठाया है। सभी सम्बद्ध स्कूलों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा के तहत भाषा शिक्षण प्रावधानों को लागू करने का निर्देश दिया है। नए नियम अकादेमिक सेशन 2025-26 से ही लागू होंगे। सीबीएसई ने प्रारंभिक शिक्षा के माध्यम के रूप में घरेलू भाषा या मातृभाषा के उपयोग और बहुभाषी दृष्टिकोण के जरिए अतिरिक्त भाषाओं की संरचित परिचय पर नए सिरे से जोर दिया है।
अब स्कूलों में साक्षरता की पहली भाषा यानी R1 छात्र की मातृभाषा या एक परिचित क्षेत्रीय/ राज्य भाषा होनी चाहिए। क्योंकि यह उनके मौजूदा भाषाई, सांस्कृतिक और संख्यात्मक संसाधनों का लाभ उठाती है। जिससे जुड़ाव और साक्षरता प्रभावशीलता बढ़ती है। R1 को तब तक शिक्षा के माध्यम से रूप रखा जाएगा जब तक की किसी अन्य भाषा में बुनियादी साक्षरता हासिल ना हो जाए।

इन छात्रों के लिए मातृभाषा में पढ़ाई जरूरी
- बता दें प्री-प्राइमेरी से लेकर ग्रेड 5 यानि 3 से 11 वर्ष आयुवर्ग छात्रों को फाउंडेशन स्टेज पर सीखने की प्राथमिक भाषा और शिक्षा का माध्यम बच्चों की घरेलू भाषा, मातृभाषा एक परिचित क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए। आरR1 के रूप में छात्रों के लिए सबसे अधिक परिचित भाषा होनी चाहिए।
- यदि व्यावहारिक कारणों से से यह संभव नहीं हो पाता है तो राज्य की की परिचित भाषा शिक्षा का माध्यम होनी चाहिए। फाउंडेशनल स्टेज में फाउंडेशनल साक्षरता और संख्यात्मक विकसित करने के पर पर्याप्त दिया जाएगा।
- छात्रों को दो बोली जाने वाली भाषण R1 या आर2 से परिचित कराने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस चरण के अंत में छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वह R1 में धाराप्रवाह पढ़ें और समझे। अनुभव, विषयों और चित्रों में जो देखा है उन्हें व्यक्त करने के लिए इस भाषा में वाक्य लिखना शुरू कर सकें।
- शुरुआती वर्षों के साथ सार्थक जुड़ाव और संख्यात्मक विकास सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है और सभी स्कूलों को इसे लागू करना होगा। है। कक्षा 3 से पांचवी के बच्चे R1 में पढ़ाई करना जारी रख सकते हैं, जो सभी विषयों के लिए पसंदीदा माध्यम हो सकता है।
- इसके बाद R1 के अलावा अन्य माध्यम में पढ़ाई करने यानि आर2 का विकल्प छात्रों को दिया जाएगा, यह निर्भर करेगा कि आर2 में फाउंडेशनल साक्षरता है या नहीं।
- कक्षा 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम के रूप में कम से कम एक भारतीय भाषा को विकल्प के रूप में प्रदान किया जाएगा। इसके बाद स्कूलों को प्रारंभिक चरण से शुरू होने वाली सभी कक्षाओं में यह विकल्प प्रदान करना जरूरी होगा। यदि प्रारंभिक एमओएल ऐसी भाषा नहीं है, जो भारतीय मूल की हो।
स्कूलों को बोर्ड ने दिए ये निर्देश
- स्कूल दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए बहुभाषी क्लासरूम स्ट्रेटजी को अपना सकते हैं। शिक्षक ट्रांसलेशन, सिंपल लैंग्वेज गेम्स इत्यादि इस्तेमाल कर सकते हैं। एनसीईआरटी की किताबें ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
- नियमों के तहत दिव्यांग छात्रों को छूट मिलेगी। आवश्यकता को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली में प्रयुक्त संशोधन करेंगे।
- एक समान और प्रभावशाली कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी स्कूलों को मई 2025 के अंत तक एक एनसीएफ कार्यान्वयन समिति का गठन करने का निर्देश बोर्ड द्वारा दिया गया है। यह समिति छात्रों की मातृभाषा का मानचित्रण करने, भाषा संसाधनों को संरचित करने और पाठ्यक्रम समयोजना का मार्गदर्शन करने के लिए जिम्मेदार होगी।
- स्कूल को लैंग्वेज मैपिंग जल्द से पूरी करनी होगी।
- गर्मी की छुट्टियों के अंत तक स्कूलों को पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री का पुनर्गठन करना होगा। ताकि R1 का उपयोग शिक्षा के माध्यम के रूप में किया जा सके।
- जुलाई 2025 से कार्यान्वयन शुरू हो सकता है। जिन स्कूलों को बदलाव के लिए समय की आवश्यकता है, उन्हें कुछ एक्स्ट्रा समय भी दिया जाएगा। जुलाई 2025 से प्रत्येक महीने की 5 तारीख तक मासिक प्रगति रिपोर्ट सीबीएसई द्वारा दिए गए लिंक पर स्कूलों को प्रस्तुत करना होगा।