राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विद्यार्थियों में कम उम्र से ही पढ़ने की आदत विकसित करने को बढ़ावा दिया जा रहा है। पीएन पणिक्कर की याद में 19 जून को राष्ट्रीय गठन दिवस मनाया जाएगा। इसी दिन से पठन माह की शुरूआत होगी। समारोह का समापन 18 जुलाई 2025 को होगा। इस दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित होंगी। जिसमें विद्यार्थी सक्रिय रूप से भाग लेंगे। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने डिजिटल पठन माह 2025 समारोह को लेकर नोटिस जारी किया है। स्कूल के प्रमुखों को छात्रों को इस समारोह में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी है।
बोर्ड ने नोटिस में कहा है कि, “एनईपी 2020 में विद्यार्थियों में कम उम्र से ही पढ़ने की आदत विकसित करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है। संख्यात्मक विकास, भाषा अधिग्रहण विवेचनात्मक चिंतन के लिए पढ़ने को आवश्यक माना गया है। इसलिए इस साल 30 वां राष्ट्रीय पठन दिवस 19 जून से लेकर 28 जुलाई पठान माह की शुरुआत का प्रतीक है। आपसे अनुरोध है कि आप विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित करें और विद्यार्थियों को उनमें सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें” इसके अलावा सीबीएसई ने सभी स्कूलों से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
प्रतिज्ञा से होगी शुरूआत
19 जून को सभी स्कूलों की असेंबली में रीडिंग डे प्रतियोगिता के साथ इस पठन समारोह की शुरुआत होगी। इसके अलावा पढ़ने को प्रोत्साहित करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन क्विज कॉम्पिटिशन का आयोजन भी किया जाएगा। प्री प्राइमरी और प्राइमरी कक्षाओं के लिए चित्रकला और ड्रॉइंग जैसी प्रतियोगिताएं ऑनलाइन और ऑफ़लाइन मोड में आयोजित होंगी।
इन गतिविधियों का भी होगा आयोजन
कला के माध्यम से पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश बोर्ड द्वारा दिया गया है। उद्घाटन कार्यक्रम भी आयोजित किए जा सकते हैं और कुछ प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया जा सकता है। पठन दिवस उद्घोषणा जुलूस पदयात्राएं, “विकास के लिए पढ़ना विषय” पर संगोष्ठी और कार्यशालाओं का आयोजन भी स्कूल कर सकते हैं। छोटी और बड़ी पुस्तक प्रदर्शनियों का आयोजन, विद्यालयों में प्रसिद्ध लेखेकों को आमंत्रित करके वाद विवाद का आयोजन और विद्यालयों में लगभग 50 पुस्तकों के साथ रीडिंग कॉर्नर स्थापित करने की सलाह भी बोर्ड ने विद्यालयों को दी है। इसके अलावा शराब और नशीले पदार्थों के खिलाफ़ छोटे और बड़े जागरूकता कार्यक्रम भी हो सकतरे हैं। नुक्कड़ नाटक, पढ़ी गई प्रसिद्ध पुस्तकों पर ग्रुप डिस्कशन, अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं में शब्द प्रतियोगिता, कविता पाठ प्रतियोगिता इत्यादि कार्यक्रमों का आयोजन भी स्कूलों में हो सकता है।





