केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों में शुगर बोर्ड की स्थापना करने का फैसला लिया है। इस संबंध में विद्यालयों के प्रमुख को नोटिस जारी किया गया है। महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए गए हैं। यह शुरुआत सीबीएसई राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ मिलकर कर रहा है, जो बच्चों के अधिकारियों की सुरक्षा करता है।
सीबीएसई ने स्कूलों को शुगर बोर्ड को लेकर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। ताकि बच्चों हेल्दी स्कूल वातावरण को बढ़ावा मिल सके। इसके अलावा विद्यालयों को एक संक्षिप्त रिपोर्ट कुछ तस्वीरें के साथ पीडीएफ फॉर्म में दिए गए लिंक पर साझा करना होगा। इसके लिए 15 जुलाई 2025 तक का समय दिया गया है।

सीबीएसई ने क्यों उठाया यह कदम?
दरअसल, पिछले दशक में बच्चों के बीच टाइप टू डायबिटीज के मामलों में वृद्धि देखी गई है। जिसका मुख्य कारण चीनी का अधिक सेवन है। जो अक्सर स्कूल के वातावरण में मीठे स्नेक्स, पेय पदार्थों जैसे कि कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड इत्यादि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता के कारण होता है। इससे मधुमेह ही नहीं बल्कि मोटापा, दातों से संबंधित समस्या और अन्य बीमारियों को भी योगदान मिलता है। इससे बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है। बच्चों में चीनी के सेवन की निगरानी करके इसे कम करने के उद्देश्य के साथ शुगर बोर्ड स्थापित करने फैसला लिया गया है।
शुगर बोर्ड कैसे करेगा काम?
शुगर बोर्ड अत्यधिक चीनी के सेवन के जोखिम के बारे में छात्रों को शिक्षित करने के लिए जानकारी प्रदर्शित करेगा। आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा। जिसमें अनुशंसित दैनिक चीनी का सेवन, खाने पीने की चीजों में चीनी की उच्च मात्रा, चीनी खपत से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम और स्वस्थ आहार विकल्प शामिल है। छात्रों के बीच दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे संबंधित जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएगी।
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