Tue, Dec 30, 2025

ये है भारत का पहला MBA कॉलेज, 1953 में हुई थी स्थापना, आज भी बेहद फेमस, एडमिशन मिलना आसान नहीं

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भारत में एमबीए की शुरुआत सालों पहले हुई है। देश में कई बिजनेस स्कूल हैं। लेकिन क्या आपको पता है पहला एमबीए कॉलेज कब और कहाँ बना था? इन्हीं सवालों का जवाब यहाँ बताया गया है- 
ये है भारत का पहला MBA कॉलेज, 1953 में हुई थी स्थापना, आज भी बेहद फेमस, एडमिशन मिलना आसान नहीं

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इन दिनों को एमबीए के बेहतरीन करियर ऑप्शन के रूप में उभर रहा है। देश भर के कई प्रतिष्ठित संस्थान इस कोर्स को ऑफर करते हैं। जिसमें दाखिले के लिए छात्रों की लंबी कतार देखने को मिलती है। मैनेजमेंट इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का कोर्स पूरा करने पर कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी के अवसर बढ़ते हैं। विदेश जाकर भी काम करने का मौका मिलता है। भारत में एमबीए पाठ्यक्रम का इतिहास काफी पुराना है। इसकी शुरुआत आजादी के कुछ साल बाद ही हुई थी।

भारत में मैनेजमेंट एजुकेशन की नींव रखने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहलाल नेहरू थे। ताकि इंडस्ट्रीलाइजेशन को बढ़ावा मिल सके। लेकिन मैनेजमेंट एजुकेशन से संबंधित संस्थान उस वक्त यूएस में थे। 1953 में इन्हीं उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोलकाता में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल वेलफेयर एंड बिजनेस मैनेजमेंट नामक कॉलेज की स्थापना सिंडिकेट ऑफ यूनिवर्सिटी कोलकाता द्वारा की गई थी। इसके फाउंडर डॉ बिधान चंद्र थे। आज भी यह कॉलेज काफी प्रसिद्ध है। लाखों शास्त्र दाखिला लेना चाहते हैं।

कॉलेज की रैंकिंग और फीस (First MBA College)

वर्तमान में आईआईएसडब्ल्यूबीएम एमबीए के साथ-साथ मैनेजमेंट से जुड़े कई पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स और सर्टिफिकेट कोर्सेज ऑफर करता है। इसकी एनआईआरएफ रैंकिंग 2024 60 थी। कोलकाता में यह टॉप 5 एमबीए कॉलेज की लिस्ट में शामिल है। इंडिया टुडे के हिसाब से भारत में इसकी रैंकिंग 25 थी। आउटलुक रैंकिंग 2025 में इसे 22वां स्थान प्राप्त हुआ था। वहीं बिजनेस टुडे की रैंकिंग में इसकी स्थान 60 था। एमबीए के लिए इसमें CAT स्कोर के आधार पर एडमिशन मिलता है। समूह चर्चा और इंटरव्यू भी होता है। फीस 4 लाख रुपये से लेकर 7.50 लाख रुपये के आसपास है। हालांकि शुल्क कोर्स पर निर्भर करता है।

इन कॉलेजों के बारे में भी जान लें

जमशेदपुर में स्थित एक्सएलआरआई सबसे को सबसे पुराना बिजनेस स्कूल माना जाता है, इसकी स्थापना 1949 में की गई थी। हालांकि यह शुरुआती दिनों में यह एमबीए की डिग्री ऑफर नहीं करता था। 1955 में दिल्ली  विश्वविद्यालय ने भी यह प्रोग्राम ऑफर करना शुरू कर दिया था।