नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। UGC द्वारा PhDधारक और प्रोफेसर नियुक्ति के लिए एक नया प्रावधान लाने पर विचार किए जा रहे। इसके तहत गैर पीएचडी धारक को केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central university) में पढ़ाने की पात्रता रखेंगे। यह प्रावधान तैयार किए जा रहे हैं। यदि इस प्रावधान को मंजूरी मिलती है तो अनिवार्य पीएचडी आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की माने विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के तहत शिक्षकों के रूप में विशेषज्ञ रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
UGC द्वारा नए और विशेष पदों को बढ़ाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। जिसके लिए पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी। इन्हें प्रावधान के तहत बिना पीएचडीधारकों को भी विशेषज्ञ के रूप में विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए पात्रता दी जाएगी। यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति से बैठक के दौरान पीएचडी की अनिवार्यता को हटाने के प्रस्ताव पर चर्चा किया गया था।
खबरों के मुताबिक नए पदों पर प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के प्रैक्टिस की संभावना है। UGC का कहना है कि नहीं शिक्षा नीति 2020 के तहत विभिन्न विषयों के लिए हमें विशेषज्ञ की आवश्यकता है पीके अनिवार्यता खत्म करते हैं एसोसिएट प्रोफेसर -प्रोफेसर के पदों पर विशेषज्ञ की नियुक्ति का रास्ता साफ हो सकता है। जिससे छात्रों के साथ विशेषज्ञ व्यावहारिक अनुभव और उद्योग को साझा करने में सफल रहेंगे।
केंद्रीय मंत्री सिंधिया- MP में ऐसे मैदान तैयार होंगे जहां क्रिकेट का इतिहास बने
यूजीसी के अध्यक्ष का कहना है कि बहुत से ऐसे विशेषज्ञ है जो विश्वविद्यालय में पढ़ाने की इच्छा रखते हैं लेकिन उनके पास विभिन्न क्षेत्रों के अनुभव होते हुए नियम के तहत उनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती की। PHd Degree की आवश्यकता ना हो और PhD अनिवार्यता को खत्म किया जाए तो विशेषज्ञ संबंधित क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करेंगे। इसके लिए नियमों में संशोधन करने के लिए समिति गठित करने का फैसला किया गया है। जिसके बाद आगे की घटना पर विचार किया जाएगा।
ज्ञात हो कि अभी के नियम के मुताबिक यदि कोई विशेषज्ञ विश्वविद्यालय में पढ़ाने के इच्छुक है लेकिन अगर वह पीएचडी धारक नहीं है तो उनकी कमी के कारण उन्हें खारिज कर दिया जाता है। हालांकि नए प्रावधान के तहत इस बात की पुष्टि UGC द्वारा नहीं की गई है कि Professor अस्थाई होंगे या स्थाई लेकिन संभावना जताई जा रही है कि विशेषज्ञ की जरूरतों के आधार पर विश्वविद्यालय के शिक्षा के अनुकूल रखा जा सकता है।