जस्टिस B.R. Gavai बनेंगे भारत के नए चीफ जस्टिस, जाने कैसे अमरावती की झोपड़पट्टी से निकल कर तय किया सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

जस्टिस B.R. Gavai 14 मई 2025 से भारत के 52वें चीफ जस्टिस बनेंगे, वो दूसरे दलित और पहले बौद्ध CJI होंगे। अमरावती की झोपड़पट्टी से सुप्रीम कोर्ट तक का उनका सफर प्रेरणादायक है। बी.आर. अम्बेडकर और उनके पिता के विचारों ने उनकी ज़िंदगी को दिशा दी। अगर आप उनके बारे में जानना चाहते हैं, तो ये खबर आपके लिए खास है।

जस्टिस Bhushan Ramakrishna Gavai 14 मई 2025 से भारत के चीफ जस्टिस का पद संभालेंगे। वो न सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट के 52वें CJI होंगे, बल्कि पहले बौद्ध और दूसरे दलित जज होंगे, जो इस पद तक पहुँचे। अमरावती में आर्थिक तंगी के बीच पले-बढ़े गवई का सफर मेहनत और अम्बेडकरवादी विचारों से भरा है।

उनके पिता, आर.एस. गवई, एक बड़े नेता और RPI के संस्थापक थे, जिन्होंने 1956 में अम्बेडकर के साथ बौद्ध मज़हब अपनाया था।गवई ने अपने करियर में कई बड़े फैसले दिए, जैसे आर्टिकल 370 हटाना और बुलडोजर जस्टिस पर सवाल उठाना। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले पर उनकी सक्रियता ने भी सुर्खियाँ बटोरीं। अगर आप उनके बचपन, करियर, और सुप्रीम कोर्ट में उनके विजन के बारे में जानना चाहते हैं, तो ये डिटेल्स आपके लिए मज़ेदार होंगी। आइए, इसे करीब से देखें।

 

जस्टिस गवई का CJI बनना और करियर

 

जस्टिस B.R. Gavai को 29 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत का अगला चीफ जस्टिस अपॉइंट किया। वो 14 मई 2025 से जस्टिस संजीव खन्ना की जगह लेंगे और 23 नवंबर 2025 तक CJI रहेंगे। वो पहले बौद्ध और जस्टिस के.जी. बालकृष्णन के बाद दूसरे दलित CJI होंगे। उनकी शपथ बुद्ध पूर्णिमा के ठीक बाद होगी, जो उनके मज़हब से जुड़ा खास संयोग है।

गवई ने 1985 में नागपुर में वकालत शुरू की। 2003 में वो बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने और 2019 में सुप्रीम कोर्ट पहुँचे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को खत्म करने की मंजूरी, बुलडोजर जस्टिस पर राज्यों को फटकार, और प्रशांत भूषण के अवमानना केस को खारिज करना शामिल है। 2023 में उन्होंने तीस्ता सेटलवाड को गिरफ्तारी से राहत दी। गवई का कहना है कि SC/ST में क्रीमी लेयर की ज़रूरत है, ताकि वंचितों को ज़्यादा फायदा मिले। उनके इन फैसलों ने उन्हें “नागरिकों का रक्षक” का तमगा दिलाया।

 

ज़िंदगी और विजन

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में हुआ। उनके पिता आर.एस. गवई RPI के नेता और सांसद थे, जिन्होंने अम्बेडकर के साथ बौद्ध मज़हब अपनाया। गवई का बचपन फ्रेज़रपुरा की झोपड़पट्टी में बीता, जहाँ वो माँ कमलताई के साथ घर के काम करते थे। 1971 के बांग्लादेश युद्ध में, आर्थिक तंगी के बावजूद, उनके घर सैनिकों को खाना खिलाया जाता था। गवई स्कूल में ज़मीन पर बैठकर पढ़े, लेकिन मेहनत से वकील और फिर जज बने।

 

गवई का मानना है कि संविधान सबसे ऊपर है, और सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रीय संकट में चुप नहीं रहना चाहिए। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले (26 लोगों की मौत) पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दो मिनट का मौन रखवाया। भारत-पाक युद्धविराम का भी उन्होंने स्वागत किया, कहा कि युद्ध से कोई फायदा नहीं। वो जजों की संपत्ति घोषणा, महिलाओं और SC/ST के लिए ज़्यादा प्रतिनिधित्व, और फ्रीबीज़ की सुनवाई तेज़ करने के पक्षधर हैं। रिटायरमेंट के बाद वो कोई पद या राजनीति में नहीं जाएँगे।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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