नीट यूजी परीक्षा खत्म हो चुकी है। रिजल्ट का इंतजार लाखों अभ्यर्थी कर रहे हैं। इससे पहले नेशनल मेडिकल कमीशन ने देश में संचालित हो रहे हैं अनाधिकृत और फर्जी मेडिकल संस्थानों को लेकर अलर्ट जारी किया है। छात्रों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों को आगाह किया है। नोटिस के मुताबिक कई कॉलेजों का संचालन एनएमसी के अप्रूवल के बिना हो रहा है। ये संस्थान मान्यता और विभिन्न मेडिकल कोर्स में एडमिशन का दावा करके स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को गुमराह करते हैं।
ऐसे ही अनाधिकृत कॉलेजों को लेकर NMC ने एड्वाइज़री जारी की है। मेडिकल एजुकेशन की इच्छा रखने वाले छात्रों को सही और फर्जी संस्थानों की पहचान के लिए कुछ नियम बताए हैं। जिसका पालन छात्रों को दाखिले के दौरान करना चाहिए। ध्यान रखें कि यदि कोई छात्र अनाधिकृत संस्थान से ग्रेजुएशन करता है तो उसे लाइसेंस एग्जाम यानि एफएमजीई के लिए पात्र नहीं होंगे।

ये 2 मेडिकल कॉलेज जांच के दायरे में (NEET UG 2025)
सिंघानिया यूनिवर्सिटी (राजस्थान) और संजीबन हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज (हावड़ा, पश्चिम बंगाल) फिलहाल जांच के दायरे में हैं। इनपर बिना अनुमति एमबीबीएस कोर्स ऑफर करने का आरोप हैं। इसलिए दाखिले से पहले कॉलेज का स्टेटस जरूर करें।
कैसे करें फर्जी कॉलेज की पहचान?
- एनएमसी ने अभ्यर्थियों को ऑफिशियल वेबसाइट www.nmc.org.in पर उपलब्ध मान्यता मेडिकल कॉलेजों की लिस्ट चेक करने की सलाह दी है। इस लिस्ट में शामिल न होने वाले संस्थान अनाधिकृत हैं, जो नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
- यदि आपको मान्यता ऑफर या डायरेक्ट एडमिशन ऑफर मिलता है, तो एनएमसी को सत्यापन के लिए संपर्क कर सकते हैं।
- केवल कॉलेज के वेबसाइट या विज्ञान पर भरोसा न करें।
- एनएमसी किसी भी मेडिकल कॉलेज में डायरेक्ट एडमिशन नहीं लेता।
- फेक ऑफर के झांसे में आने की कोशिश न करें। नीट यूजी के अलावा अन्य किसी माध्यम से कॉलेज दाखिले की गारंटी नहीं दे सकते हैं।
- एडमिशन फीस का भुगतान करने से पहले मान्यता सुनिश्चित जरूर कर लें।
- किसी भी संदिग्ध संस्थान जो गैर-कानूनी तरीके से मेडिकल कोर्स ऑफर कर रहा है, इसकी शिकायत एनएमसी के पास करें। +91-11-25367033 पर संपर्क कर सकते हैं।
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले इन बातों का ख्याल रखें
प्रत्येक संस्थान में कम से कम 54 महीने का एजुकेशन होना चाहिए। 12 महीने की इंटर्नशिप उस फ़ॉरेन यूनिवर्सिटी से पूरी होनी चाहिए। तभी भारत में मेडिकल प्रैक्टिस की अनुमति होगी। विभिन्न देशों में क्लीनिकल ट्रेनिंग नहीं होना चाहिए। इन्स्ट्रक्शन का माध्यम इंग्लिश भाषा में होना चाहिए। अनिवार्य विषयों का पढ़ना जरूरी है। प्रोफेशनल रेगुलेटरी बॉडी से पंजीकृत भी होना चाहिए।
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