विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के लिए हेल्दी वातावरण सुनिश्चित के लिए कई बड़े फैसले लेता है। हाल ही में यूजीसी ने एंटी-रैगिंग दिशानिर्देशों का पालन न करने पर 89 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी किया है। 9 जुलाई 2025 तक छात्रों से वचनबद्धता लेने का निर्देश भी दिया है। इतना नहीं सूची में शामिल सभी संस्थानों को इन नोटिस को प्राथमिकता देने को भी कहा है।
डिफॉल्टर संस्थानों की सूची में 17 ऐसे संस्थान हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश में स्थित कई स्टेट यूनिवर्सिटी को भी UGC ने नोटिस जारी किया है। आयोग ने सभी संस्थाओं को कॉलेज परिसर में रैंकिंग रोकने के लिए उपाय को लागू करने का आदेश दिया है। यदि संस्थाओं द्वारा नोटिस को प्राथमिकता नहीं दी गई और निर्धारित समय के भीतर नियमों का अनुपालन नहीं किया गया तो आयोग सख्त कार्रवाई कर सकता है। मान्यता भी रद्द की जा सकती है। इसके अलावा इन कॉलेजों को यूजीसी वेबसाइट पर गैर अनुपालनकर्ता के रूप में सूचीबद्ध भी किया जा सकता है। वित्तीय सहायता और अनुसंधान परियोजनाओं पर भी असर पड़ेगा।
राष्ट्रीय महत्व के इन कॉलेजों को नोटिस जारी
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, आंध्र प्रदेश
- नेशनल इंस्टिट्यूट इंस्टिट्यूट ऑफ़ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वैदिक
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन हरियाणा
- आईआईएम रोहतक
- आईआईएम बैंगलोर
- आईआईटी पलक्कड़
- आईआईटी मुंबई
- आईआईटी सेनापति तिरुचिरापल्ली
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPER), हैदराबाद
- आईआईटी हैदराबाद
- राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैट्रोलियम टेक्नोलॉजी, अमेठी
- एम्स रायबरेली
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी शिबपुरी
- आईआईटी खड़गपुर
मध्यप्रदेश के इन कॉलेजों के खिलाफ यूजीसी ने दिखाई सख्ती
मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित डॉ बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस को भी यूजीसी ने नोटिस जारी किया है। इस लिस्ट में एलएनसीटी यूनिवर्सिटी (भोपाल), छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी और अटल बिहारी वाजपई हिंदी विश्वविद्यालय भी शामिल है।





