छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। दो दिनों में 258 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे “विश्वास की शक्ति की जीत” बताया। केंद्र और राज्य की संयुक्त रणनीति से अब बस्तर नक्सलमुक्त हो रहा है और विकास की नई कहानी लिख रहा है।छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही निर्णायक जंग अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। बीते दो दिनों में राज्य में कुल 258 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए, जिससे सरकार और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस सफलता को “विश्वास की शक्ति की जीत” बताया। उन्होंने कहा कि अब बस्तर भय नहीं, बल्कि विकास और विश्वास की नई पहचान बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत नक्सलवाद के अंत की दहलीज़ पर खड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बदलाव जनता के भरोसे, संवेदनशील नीतियों और सुरक्षा बलों के समर्पण का परिणाम है।

विश्वास की शक्ति की जीत
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बीते दो दिनों में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रतीक है कि बंदूक नहीं, बल्कि विश्वास की शक्ति जीत रही है। उन्होंने बताया कि पिछले 22 महीनों में राज्य में 477 नक्सली मारे गए, 2110 ने आत्मसमर्पण किया और 1785 गिरफ्तार हुए। यह आंकड़े छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने के अडिग संकल्प के साक्षी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ का नक्सलमुक्त होना यह साबित करता है कि अब बस्तर भय नहीं, बल्कि विकास और विश्वास की भूमि बन चुका है।
नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य अब पास
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक राज्य को पूरी तरह नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य अब बहुत निकट है। यह परिवर्तन “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की सफलता का परिणाम है। उन्होंने बताया कि अब तक नक्सल प्रभावित इलाकों में 64 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे सुरक्षा सुदृढ़ हुई है और विकास की किरण हर गांव तक पहुंची है। मुख्यमंत्री ने सुरक्षा बलों के अदम्य साहस और बलिदान को नमन करते हुए कहा कि उनके समर्पण से ही आज बस्तर भयमुक्त और शांति की राह पर अग्रसर है।
अमित शाह बोले- नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे क्षेत्र अब पूरी तरह नक्सलमुक्त घोषित हो चुके हैं। यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। शाह ने कहा कि यह बदलाव संविधान पर बढ़ते विश्वास की जीत है। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम उनके बेहतर भविष्य और देश की एकता के प्रति समर्पण का प्रतीक है। शाह ने सभी नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा छोड़कर विकास की राह पर लौटें, क्योंकि अब नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में है।










