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Sun, Dec 7, 2025

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : पूर्व आबकारी आयुक्त समेत कई कारोबारियों के ठिकानों पर ACB-EOW की छापेमारी

Written by:Banshika Sharma
छत्तीसगढ़ में शराब और डीएमएफ घोटाले को लेकर एसीबी-ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की है। रायपुर, बिलासपुर समेत कई जिलों में पूर्व अधिकारियों और कारोबारियों के 18 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापे मारे गए। यह कार्रवाई नए डिजिटल सबूतों के आधार पर की जा रही है।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : पूर्व आबकारी आयुक्त समेत कई कारोबारियों के ठिकानों पर ACB-EOW की छापेमारी

रायपुर: छत्तीसगढ़ में रविवार सुबह से ही आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीमों ने एक बड़ी कार्रवाई शुरू की है। यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले और जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) फंड में हुई अनियमितताओं के सिलसिले में की जा रही है। टीमों ने रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर और जगदलपुर समेत कई जिलों में लगभग 18 ठिकानों पर एक साथ दबिश दी है।

राजधानी रायपुर में, टीम ने पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास के रामा ग्रीन कॉलोनी स्थित आवास पर छापा मारा। अधिकारियों ने सुबह करीब 8 बजे पहुंचकर दस्तावेजों की जांच शुरू की और घर के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को भी खंगाला। इसके अलावा, रायपुर की ला विस्टा कॉलोनी में कारोबारी हरपाल अरोरा के घर पर भी एक टीम ने जांच की, जहाँ वित्तीय लेनदेन से जुड़े कागजात जब्त किए गए।

कई जिलों में एक साथ कार्रवाई

यह कार्रवाई सिर्फ रायपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे कई जिलों में एक साथ अंजाम दिया जा रहा है। बिलासपुर में अशोक टुटेजा के आवास पर छापा मारा गया, जिनका नाम पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा से जुड़े शराब घोटाले में सामने आया था। इसी तरह, कोंडागांव में डीएमएफ सप्लाई से जुड़े कारोबारी कोणार्क जैन और जगदलपुर में निरंजन दास के भाई चितरंजन दास के ठिकानों पर भी जांच जारी है।

सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियों को हाल ही में कुछ नए डिजिटल दस्तावेज और ईमेल मिले थे, जिसके बाद इस कार्रवाई की योजना बनाई गई। टीमों के पास हवाला कनेक्शन, अवैध आपूर्तिकर्ताओं और संदिग्ध लेनदेन से जुड़े बैंक रिकॉर्ड होने की भी जानकारी है।

क्या है 2165 करोड़ का शराब घोटाला?

यह मामला राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2019-2023) के दौरान लागू की गई शराब नीति से जुड़ा है। आरोप है कि नीति में बदलाव करके कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। जांच में यह बात सामने आई कि नोएडा की एक कंपनी से नकली होलोग्राम और स्टिकर बनवाकर प्रीमियम शराब की बोतलों पर लगाए जाते थे। इसके बाद इस शराब को सरकारी दुकानों के जरिए बिना टैक्स चुकाए बेचा जाता था, जिससे सरकारी खजाने को करीब 2165 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

इस मामले में पहले भी कई बड़ी गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर समेत कई लोग जांच के दायरे में हैं। आबकारी विभाग के 28 अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया था, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। आज की इस कार्रवाई को घोटाले की जांच में एक नए और अहम चरण के तौर पर देखा जा रहा है। फिलहाल सभी ठिकानों पर तलाशी जारी है और दिन के अंत तक जब्त सामग्री के बारे में आधिकारिक जानकारी दिए जाने की उम्मीद है।