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Sun, Dec 7, 2025

छत्तीसगढ़ की झांकी ने जीता दिल: ‘बस्तर की धरती’ ने दिखाई संस्कृति और विकास की झलक

Written by:Saurabh Singh
गुजरात के एकता नगर में आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एकता परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी “बस्तर की धरती – संस्कृति, सृजन और प्रगति की गाथा” सभी के आकर्षण का केंद्र बनी।
छत्तीसगढ़ की झांकी ने जीता दिल: ‘बस्तर की धरती’ ने दिखाई संस्कृति और विकास की झलक

गुजरात के एकता नगर में आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एकता परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी “बस्तर की धरती – संस्कृति, सृजन और प्रगति की गाथा” सभी के आकर्षण का केंद्र बनी। इस झांकी ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति की महक बिखेरी, बल्कि बस्तर की बदलती तस्वीर को भी जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। परेड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी झांकियों का अवलोकन किया और उनकी कलात्मकता की सराहना की।

लोक परंपरा और आस्था का सुंदर संगम

झांकी के अग्रभाग में पारंपरिक वेशभूषा में सजे माड़िया जनजाति के कलाकारों ने गौर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। यह नृत्य बस्तर की सामूहिकता और उत्सवप्रियता का प्रतीक बना। मंच पर रखी पारंपरिक तुरही ने लोक पर्वों की गूंज और बस्तर की जीवंतता को दर्शाया। वहीं नंदी का चित्रण इस क्षेत्र की गहरी लोक आस्था और शिव उपासना की परंपरा को अभिव्यक्त करता दिखाई दिया।

बदलते बस्तर की नई पहचान

झांकी के मध्य भाग में बस्तर के विकास की यात्रा को चित्रित किया गया था। कभी नक्सलवाद से प्रभावित यह इलाका अब शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार के क्षेत्र में प्रगति की राह पर है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाओं और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्राथमिकताओं के चलते बस्तर में विकास की नई गूंज सुनाई दे रही है। अब यहां बंदूकों की जगह बच्चों की स्कूलों में बजती घंटियों की आवाज गूंजती है।

स्त्री शक्ति और शिल्पकला का गौरव

झांकी के अंतिम हिस्से में टोकरी लिए महिला की प्रतिमा ने बस्तर की स्त्री शक्ति, श्रम और सृजनशीलता को प्रदर्शित किया। ढोकरा कला से सजी झांकी ने छत्तीसगढ़ के कारीगरों की अद्भुत कलात्मकता को उजागर किया। यह दृश्य केवल पारंपरिक कौशल का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की कहानी भी कहता है।

विकास और संस्कृति का समागम

यह झांकी बस्तर के उस नए युग की प्रतीक बनी, जहां परंपरा और प्रगति साथ-साथ चल रही हैं। गांवों में बिजली, सड़कों और इंटरनेट की पहुंच ने नई उम्मीदें जगाई हैं। महिलाएं हस्तशिल्प और वनोपज के जरिये आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं। बस्तर अब सिर्फ लोक संस्कृति का नहीं, बल्कि आधुनिक विकास का भी प्रतीक बन चुका है।

झांकी चयन प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ को मिली सराहना

गृह सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने देशभर से झांकियों का चयन किया। मौलिकता, प्रस्तुति और विषय की गहराई के आधार पर छत्तीसगढ़ की झांकी को चुना गया। अंतिम सूची में छत्तीसगढ़ के साथ एनएसजी, एनडीआरएफ, अंडमान-निकोबार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, मणिपुर, पुद्दुचेरी और उत्तराखंड की झांकियां शामिल की गईं।