रायपुर, डेस्क रिपोर्ट। राजस्थान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन बहाल करने के बाद अब देशभर में पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठ रही है। मध्य प्रदेश हो या छत्तीसगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी इसकी बहाली की मांग के लिए मोर्चा खोले हुए है।संभावना जताई जा रही है कि राजस्थान-झारखंड में हरी झंडी मिलने के बाद अब छत्तीसगढ में भी पुरानी पेंशन को जल्द लागू किया जा सकता है।इसके लेकर हाल ही में सीएम भूपेश बघेल ने भी संकेत दिए थे।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बजट सत्र में छत्तीसगढ़ सरकार भी अपने कर्मचारियों को होली का तोहफा दे सकती है और पुरानी पेंशन योजना दोबार से लागू की जा सकती है।चुंकी कांग्रेस गठबंधन वाली पड़ोसी राज्य झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने भी पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी है और कर्मचारियों को जल्द इसका लाभ भी मिलना शुरू हो जाएगा।वही हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि इसके लिए वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया जाएगा। जो भी संभव होगा, उसे किया जाएगा। केंद्र की अटल सरकार ने इसे बंद कर दिया था, चर्चा में यह विषय आया है, तो विचार करेंगे। हम किसी को नहीं बोलते नहीं है, देने का काम हम लगातार करते रहे है।
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने भी कहा था कि इस मामले में कैबिनेट में बातचीत हो चुकी है। 18 फरवरी को हुई बैठक में इसको लेकर चर्चा की गई है, अब आखिरी फैसला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेना है।सुत्रों की मानें तो 7 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सरकार इसे लागू करने की घोषणा कर सकती है और इसके लागू होने से सरकार पर तुरंत कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 3 लाख 88 हजार है। इसमें 2 लाख 95 हजार से अधिक 2004 के बाद के हैं, जो पुरानी पेंशन योजना के दायरे में नहीं है। पुरानी पेंशन योजना लागू होने से इन्हें लाभ होगा।वही पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद हर महीने 300 करोड़ रुपये से ज्यादा बचेगा। यह राशि सरकार अंशदान के रूप में जमा करती है। पुरानी पेंशन योजना में सरकार को अंशदान नहीं करना पड़ेगा।
ये है दोनों पेंशनों में अंतर
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों के मूल वेतन और डीए का 12% रकम जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) में जमा होता है और 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिया जाता है। सेवानिवृत्ति पर अंतिम वेतन का 16.5 गुणा तक ग्रेच्युटी दिया जाता है और आयकर नहीं लगता। अंतिम वेतन का 50 फीसद तक निश्चित पेंशन सरकार देती है।वही नई पेंशन में कर्मचारियों का मूल वेतन और DA का 14% काटा जाता है और सरकार अपनी तरफ से उतनी ही राशि मिलाकर जमा करती है। यह राशि नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (NSDL) के माध्यम से बनाए गए ट्रस्ट के खाते में जमा होता है। एनएसडीएल राशि का उपयोग शेयर मार्केट में करती है। सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को एक मुश्त राशि का भुगतान कर दिया जाता है।