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Sun, Dec 7, 2025

छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव में PM मोदी और रामनामी समाज के बीच भावनात्मक पल, CM साय बोले– ‘आस्था का अद्भुत संगम’

Written by:Saurabh Singh
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित रजत महोत्सव में एक बेहद भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रामनामी समाज के श्रद्धालुओं के बीच आत्मीय संवाद का यह पल पूरे समारोह का केंद्र बन गया।
छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव में PM मोदी और रामनामी समाज के बीच भावनात्मक पल, CM साय बोले– ‘आस्था का अद्भुत संगम’

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित रजत महोत्सव में एक बेहद भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रामनामी समाज के श्रद्धालुओं के बीच आत्मीय संवाद का यह पल पूरे समारोह का केंद्र बन गया। इस अनोखे क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी इस वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करते हुए इसे “आस्था से भरा और प्रेरणादायी क्षण” बताया।

PM मोदी से रामनामी समाज के प्रतिनिधियों की आत्मीय भेंट

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के रायपुर आगमन से कुछ घंटे पहले मंत्रालय में रामनामी समाज के प्रतिनिधियों ने उनसे भेंट की थी। उस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलने की अपनी गहरी इच्छा व्यक्त की थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने इस मुलाकात की विशेष व्यवस्था की। जैसे ही रजत महोत्सव के दौरान रामनामी समाज के लोग प्रधानमंत्री मोदी से मिले, उन्होंने मंच पर आदरपूर्वक प्रधानमंत्री को अपने पारंपरिक मोर मुकुट से अलंकृत करने की इच्छा जताई। प्रधानमंत्री ने इसे सहजता और आत्मीयता से स्वीकार किया, जिससे वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो उठे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “रामनाम ही जिनका धर्म और रामभक्ति ही जिनका कर्म ऐसे अद्भुत रामनामी समाज” के तन पर अंकित ‘राम’ केवल एक नाम नहीं, बल्कि समर्पण, तपस्या और अटूट आस्था का प्रतीक है। यह समाज अपने तन-मन को प्रभु श्रीराम के चरणों में समर्पित कर देता है। उनके जीवन का हर क्षण ‘राम’ के नाम को जीने का माध्यम है।

भक्ति और कर्म के संगम की मिसाल

साय ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का यह आत्मीय व्यवहार भक्ति और कर्म के संगम की मिसाल है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने न केवल रामनामी समाज की परंपरा का सम्मान किया, बल्कि उस आध्यात्मिक ऊर्जा को भी महसूस किया जो इस समुदाय की पहचान है। यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि ‘रामभक्ति’ केवल उपासना नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आचरण से सार्थक किया है।

रजत महोत्सव के इस प्रसंग ने पूरे देश में संदेश दिया कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं केवल इतिहास नहीं, बल्कि आज भी जीवंत हैं। प्रधानमंत्री और रामनामी समाज के इस संवाद ने आस्था, संस्कृति और समर्पण की भावना को नई ऊर्जा दी। यह क्षण छत्तीसगढ़ की मिट्टी में बसे श्रद्धा और संस्कार का प्रतीक बन गया।