CMHO ने बताई सात एक्सरसाइज, कहा इसे करोगे तो नहीं होगा कोरोना, वीडियो वायरल

Gaurav Sharma
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ग्वालियर,अतुल सक्सेना। दो दिन पहले पदस्थ किये गए ग्वालियर के नये CMHO यानि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का एक वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। CMHO साहब वीडियो में हाथों की सात एक्सरसाइज बता कर दावा कर रहे हैं कि यदि रोज इसे किया जाए तो आपके शरीर की इम्युनिटि बढ़ जायेगी और आपको कभी कोरोना नहीं होगा।

 

विश्व के लिए महामारी बन चुके कोरोना ने दुनिया के वैज्ञानिकों को हिला कर रख दिया है। भारत में भी वैज्ञानिक और डॉक्टर्स कोरोना से बचाव के उपाय ढूंढ रहे हैं और प्रयोग कर रहे हैं। देश के बड़े बड़े अस्पतालों के नामी डॉक्टर्स वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं और देसी तरीकों से अपने अनुभव के आधार पर शरीर की इम्युनिटि यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय बता रहे हैं। इसी क्रम में ग्वालियर के नव पदस्थ CMHO डॉ मनीष शर्मा का वीडियो सामने आया है इसमें CMHO साहब हाथों की सात एक्सरसाइज बता रहे हैं डॉ मनीष शर्मा का कहना है कि ये साधारण एक्सरसाइज हमारे शरीर की इम्युनिटि बढ़ाती हैं जो कोरोना से लड़ने में मदद करती है उनका दावा है कि यदि कोई व्यक्ति इन सात एक्सरसाइज को रोज 30-30 सेकंड तक रोज करे तो उसे जीवन में कभी कोरोना नहीं होगा। बहरहाल CMHO साहब का नुस्खा कितना कारगर है ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन चूंकि मामला साधारण एक्सरसाइज का है तो इसे स्वीकार करने में कोई बुराई भी नहीं दिखती। फिलहाल नये CMHO का ये वीडियो इस समय चर्चा का विषय है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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