ना स्कूल का कोई खर्चा फिर भी फीस पूरी, चोइथराम स्कूल नार्थ कैम्पस में पालकों का हंगामा

school fee protest by parents in indore

इन्दौर, आकाश धोलपुरे। निजी स्कूलों (private schools) की मनमानी को लेकर विवाद थमने का नाम नही ले रहा है और अब ये विवाद इतना बढ़ गया है कि आये दिन किसी निजी स्कूल में पालकों (Parents) को लामबंद होकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। दरअसल, कोरोना काल (corona era) में लगे लॉक डाउन (lock down) के बाद कई पालकों की नौकरी तक छूट गई है, वही व्यापार करने वाले पालकों के व्यापार में भी तेज गति नहीं है।

लिहाजा, पूरी साल की फीस (fees) भरने को लेकर स्कूल प्रबंधन द्वारा पेरेंट्स (parents) पर दबाव बनाया जा रहा है। यहां तक कि कथित तौर पर चलने वाली ऑनलाइन क्लासेस (online classes) में भी फीस न भरने पर बच्चों को ग्रुप से बाहर निकाल कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।