एमपी के दमोह जिले के पथरिया से बीएसपी की फायर ब्रांड विधायक रही रामबाई सिंह परिहार साल 2023 में चुनाव हारने के बाद लगभग दो सालों से सुर्खियों से बाहर है लेकिन बुधवार को भोपाल में रामबाई ने पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार से मुलाकात कर उनके साथ के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर एक बार फिर सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है और कयास लगाए जा रहे हैं कि रामबाई का अगला ठिकाना कांग्रेस हो सकती है और लोग पूछ भी रहे हैं कि क्या रामबाई का अगला ठिकाना कांग्रेस होगी?
बसपा की विधायक रहीं रामबाई साल 2018 से 2023 तक न सिर्फ एमपी बल्कि अपने कारनामों बयानों और जमीन पर किए कुछ कार्यों की वजह से देश की सुर्खियों में रही हैं और इनकी छवि दबंग विधायकों में थी लेकिन 2023 में पथरिया सीट से भाजपा के उम्मीदवार और मौजूदा पशुपालन मंत्री लखन पटेल से चुनाव हारने के बाद रामबाई गायब सी हो गई थी, कभी कभार मैदान में नजर आई रामबाई ने बुधवार को पटवारी और सिंगार से मुलाकात की और फिर अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर फोटो अपलोड कर चर्चा का बाजार गरम कर दिया।
कमलनाथ सरकार को था रामबाई का समर्थन
हालांकि रामबाई और कांग्रेस का रिश्ता पुराना रहा है। साल 2018 में प्रदेश में बनी कमलनाथ सरकार को रामबाई का समर्थन था और इस सरकार में समर्थन के कारण उनका पावर भी अलग था, रामबाई सीधे तत्कालीन सीएम कमलनाथ से जुड़ी थी और उस दौरान उनके कई किस्से भी सुर्खियों में रहे। उसके बाद कमलनाथ सरकार को गिराने के मामले में भी रामबाई सुर्खियों में रही और उस वक्त गायब हुए कांग्रेस विधायकों के अलावा रामबाई भी एक विधायक थी और जिन जीतू पटवारी के साथ वो अभी फोटो में नजर आ रही है वहीं जीतू पटवारी उन्हें खोजने निकले थे और दूसरे राज्य से उन्हें एमपी लेकर आए थे।
शिवराज सरकार में BJP में शामिल होने की थी अटकलें
सूबे में कमलनाथ की सरकार बदल गई और शिवराज की ताजपोशी फिर हुई और इस सरकार में भी रामबाई का रुतबा कम नहीं हुआ बल्कि अपरोक्ष रूप से अंदर ही अंदर भाजपा को फिर से सरकार में वापस लाने का श्रेय रामबाई को मिलता रहा और पांच साल बीत गए, चुनाव आया और रामबाई चुनाव हार गई। शिवराज सरकार के दौरान भी रामबाई के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज थी, कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस विधायकों के दलबदल के जैसे ही रामबाई भी पार्टी बदल लेंगी लेकिन उन्होंने उस वक्त रिस्क नहीं लिया और वो बसपा में ही बनी रही।
स्थानीय नेताओं के कारण नहीं मिली BJP में एंट्री
जानकर बताते हैं कि चुनाव हारने के बाद रामबाई ने भाजपा में जाने की कोशिश की लेकिन भाजपा आलाकमान ने दमोह जिले के स्थानीय भाजपा नेताओं के दखल के बाद उन्हें पार्टी में शामिल नहीं किया हालांकि जब ये बातें सामने आई तो खुद रामबाई ने कई बार इस बात का खंडन किया कि वो भाजपा में नहीं जाने वाली। हालांकि तत्कालीन दमोह सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के कई कार्यक्रमों में वो नजर आई और उन्हें प्रहलाद पटेल का करीबी भी माना जाने लगा लेकिन भाजपा के रास्ते शायद उनके लिए नहीं खुल पाए और बीते दो सालों से रामबाई पर्दे से बाहर ही दिख रही है।
परिवार के कई लोग अभी जेल में
पथरिया इलाके में रामबाई का जनाधार है लिहाजा वो मैदान नहीं छोड़ना चाहती और फिर सक्रिय होने की कोशिश में है। माना जा रहा है कि इस वक्त वो अकेली ही राजनीति के मैदान में है जबकि उनके पति देवर और भाई कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के आरोप में जेल में है। रामबाई के पति गोविंद सिंह उनके देवर कौशलेंद्र प्रताप सिंह सहित उनके एक भाई जिले के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के आरोपी हैं और बीते साल कोर्ट ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी और वर्तमान में वो जेल में है ऐसे समय पारिवारिक रूप से भी रामबाई परेशान मानी जा सकती हे लेकिन उनका हौसला जज्बा और साहस उन्हें मैदान छोड़ने मजबूर नहीं कर सकता और यही वजह है कि एक बार फिर वो नई पारी खेलना चाहती हे और इस वजह से उन्होंने कांग्रेस के दिग्गजों से मेलजोल बढ़ाना शुरू किया है।
फिर चर्चा, क्या कांग्रेस में शामिल होंगी रामबाई
अब सवाल यही कि क्या कांग्रेस उन्हें अपने कुनबे में शामिल करेगी वो इस लिए भी की कभी कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाली रामबाई सिंह को कमलनाथ सरकार ने कई पावर दिए थे उनका कॉन्टेक्ट सीधे सीएम से था लेकिन सरकार गिराने में भी उनका नाम सुर्खियों में आया, उस वक्त जो घटनाक्रम हुए उनमें रामबाई का किरदार चर्चाओं में था मतलब साफ की यदि ऐसा हुआ था तो रामबाई कहीं न कहीं कांग्रेस को धोखा दे चुकी है और कांग्रेस ऐसे में पुरानी बातों को याद कर शायद उन्हें अपने परिवार में शामिल करने से बचे। अब देखना होगा कि जिन अटकलों का बाजार गर्म हुआ है वो कितनी सच साबित होती हैं।
दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट





