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Fri, Dec 5, 2025

रात को निरीक्षण पर निकले कलेक्टर ने रोते हुए युवक से मांगी माफ़ी, उसे हुई परेशानी के लिए खुद को बताया जिम्मेदार

Written by:Atul Saxena
दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने बेझिझक कहा कि रैन बसेरों की अव्यवस्थाओं के लिए हम सब जिमेम्दर हैं, नगर पालिका, स्वास्थ्य विभाग, जिले का कलेक्टर सभी जिम्मेदार हैं , यदि हम मानव की गरिमा नहीं बना सकते तो हमारे होने का कोई अर्थ नहीं।
रात को निरीक्षण पर निकले कलेक्टर ने रोते हुए युवक से मांगी माफ़ी, उसे हुई परेशानी के लिए खुद को बताया जिम्मेदार

अमूमन अपनी गलतियों और खामियों को छिपाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी उन पर पर्दा डालते हैं तमाम तरह के तर्क देते हैं लेकिन एमपी के दमोह जिले के कलेक्टर ने लोगों को परेशानी में देख सार्वजनिक तौर पर एक युवक की आँख में आंसू देखकर उसे हुई परेशानी के लिए ना सिर्फ़ उससे माफ़ी मांगी बल्कि ये कहा इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं, आखिर ऐसा क्या हुआ और क्यों एक आईएएस को ऐसी बात कहनी पड़ी देखिए इस रिपोर्ट में..

रात के वक्त जिले के सबसे बड़े अफसर यानी कलेक्टर के साथ मौजूद आला अफसरों को आंखों में आंसू लिए जब एक शख्स व्यक्ति दिखा और उससे पूछने पर जब उसने अपनी व्यथा कलेक्टर को सुने और सुनाते समय जब वो व्यक्ति फफक कर रोया तो दमोह के कलेक्टर अंदर तक हिल गए। इस शख्स की वेदना काफी गहरी थी कि उसने बताया  परिजन जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है उसका इलाज चल रहा है अस्पताल के लोग उसे सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का लाभ नहीं लेने दे रहे ।

कंधे पर हाथ रखकर बोले कलेक्टर मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ 

अपने परिजन का इलाज कराने आया ये तीमारदार परेशान है, रात के वक्त कड़कड़ाती ठंड में इसे अस्पताल के रैन बसेरे का सहारा है लेकिन यहां तैनात कर्मचारी इस आश्रय स्थल पर ताला जड़े हुए हैं और यदि कोई इसमें रुकने के लिए कहता है तो उसके साथ गलत व्यवहार किया जाता है। इस पीड़ित व्यक्ति को जब कलेक्टर ने सुना तो उनकी जुबां से वो निकला जो शायद कोई आईएएस अफसर इतनी बेबाकी से नहीं कह सकता है, उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ।

निरीक्षण में हकीकत आई सामने, रैन बसेरों पर लटके मिले ताले 

दरअसल दमोह में भीषण ठंड का प्रकोप शुरू हो चुका है, रात के समय हाड़ कंपाने वाली ठंड हो रही है। जिला अस्पताल सहित बस स्टैंड पर सरकार ने रैन बसेरों का इंतजाम है ताकि मरीजों के तीमारदार और बाहरी यात्री ठंड से बच सकें लेकिन इन रैन बसेरों के इंतजाम में लगा नगर पालिका का स्टाफ और अफसर सरकार के मंसूबों पर पानी डालने में लगे है। कलेक्टर को लगातार इसकी शिकायत मिल रही थी तो देर रात कलेक्टर औचक रूप से जिला अस्पताल के रैन बसेरे में पहुंच गए और शिकायत सही थी, यहां ताला लटका हुआ था फिर क्या था रात के समय ही नगर पालिका के सीएमओ और अस्पताल के सिविल सर्जन सहित तमाम जिम्मेदारों को तलब किया गया और डीएम ने रैन बसेरा खुलवाया।

अव्यवस्था देख नाराज कलेक्टर ने दिए निलंबन के आदेश 

कलेक्टर ने अस्पताल परिसर में ठंड से कंपकंपाते लोगों को बुलाया, हकीकत जानी, लोगों ने बताया कि रैन बसेरे में कर्मचारी शराब पीकर पड़े रहते हैं , लोगों को घुसने नहीं दिया जाता, शिकायतें सुन कलेक्टर ने मौके पर ही सीएमओ  को यहां तैनात किए गए कर्मचारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिए। इसके बाद कलेक्टर ने बस स्टैंड के रैन बसेरा का निरीक्षण किया तो यहां भी ताला जड़ा था और डीएम कोचर ने इसे भी खुलवाया और यहां के हालात देखे, स्टोर में बंद नए गद्दे, नए पलंग देखकर कलेक्टर आश्चर्य में पड़ गए, रैनबसेरे में तमाम सुविधाएं होने के बाद भी ये रैन बसेरा भी बंद पड़ा था। कलेक्टर ने इसे भी तुरंत शुरू करने के आदेश नगर पालिका को दिए। इन हालातों को भी कलेक्टर ने बेबाकी से कैमरे के सामने स्वीकार किया।

लोगों को हुई परेशानी के लिए कलेक्टर ने खुद को बताया जिम्मेदार

बहरहाल एक बड़े अफसर का हालातों के लिए खुद को दोषी मानना अपने आप में बड़ी बात है और इसे उनका मानवीय पहलू भी कहा जा सकता है लेकिन इन हालातों के लिए असली जिम्मेदार लोग कहीं न कहीं जरूर कटघरे में खड़े है जिनका कृत्य अमानवीय कहा जा सकता है और जिले के डीएम की बेबाकी और इनके मानवीय पहलू से सीख भी जिम्मेदार ले सकते हैं।

दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट