दमोह: मध्य प्रदेश में शिक्षकों की ई-अटेंडेंस का मामला एक बार फिर तूल पकड़ता जा रहा है। सागर संभाग के शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक (ज्वाइंट डायरेक्टर) द्वारा जारी एक आदेश ने नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें ई-अटेंडेंस न लगाने वाले शिक्षकों का वेतन काटने की चेतावनी दी गई है। इस आदेश के बाद दमोह जिले के शिक्षक संघों ने मोर्चा खोल दिया है और आंदोलन की चेतावनी दी है।
अध्यापक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस संबंध में दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने मांग की है कि इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाए, अन्यथा वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

वेतन कटौती के आदेश से नाराजगी
शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि जो शिक्षक एम-शिक्षा मित्र ऐप के माध्यम से अपनी ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं करेंगे, उनका वेतन काट दिया जाएगा। यह आदेश मिलते ही शिक्षक संगठनों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने इसे एकतरफा फैसला करार दिया।
निजता और ऐप की खामियां मुख्य चिंता
आंदोलन की तैयारी कर रहे शिक्षकों का कहना है कि वे ई-अटेंडेंस प्रणाली के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ऐप की तकनीकी खामियों और व्यक्तिगत जानकारी के सार्वजनिक होने से चिंतित हैं। शिक्षक संघ के नेता आसिफ अंजुम और देवेंद्र ठाकुर के अनुसार, इस ऐप के जरिए शिक्षकों की व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक हो रही हैं, जो उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
शिक्षकों ने यह भी तर्क दिया है कि ऐप में कई तरह की तकनीकी समस्याएं हैं, जिसके कारण कई बार उपस्थिति दर्ज करना संभव नहीं हो पाता। उनका यह भी कहना है कि जब शिक्षा आयुक्त पहले ही इस मामले में शिक्षकों को कुछ रियायत दे चुके हैं, तो संयुक्त संचालक को इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार किसने दिया।
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में शिक्षक संघों ने मांग की है कि उनकी बात सरकार तक पहुंचाई जाए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो वे एक बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इस विवाद ने एक बार फिर प्रदेश में शिक्षक और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट










