प्राण के 10 डायलॉग, जो आज भी लोगों के बीच फेमस

प्राण का जन्म दिल्ली में 12 फरवरी 1920 को हुआ था। उनका पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था। फिल्मों में आने के बाद यह केवल प्राण नाम रह गया। पढ़ाई में बचपन से ही वह काफी होशियार थे।

Sanjucta Pandit
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Pran Dialouges : बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में प्राणी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनके डायलॉग आज भी लोगों के दिमाग में है। अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों को दीवाना बनाने वाले अभिनेता की जोड़ी महानायक अमिताभ बच्चन के साथ काफी ज्यादा पसंद की गई है। खलनायक की भूमिका उन्होंने इतनी निष्ठा के साथ निभाया है कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक के रूप में भी जाना जाता है। जब भी फिल्मी दुनिया में विलेन की बात की जाती है, तो उनका नाम सबसे ऊपर लिया जाता है।

अलग-अलग लहजे में बोलने की कला और खौफनाक अंदाज ने उन्हें विलन बनाया है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उन्होंने पॉजिटिव रोल नहीं निभाई हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नाम उन्हें नेगेटिव रोल से ही मिला है।

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दिल्ली में हुआ था जन्म

प्राण का जन्म दिल्ली में 12 फरवरी 1920 को हुआ था। उनका पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था। फिल्मों में आने के बाद यह केवल प्राण नाम रह गया। पढ़ाई में बचपन से ही वह काफी होशियार थे। बंटवारे से पहले प्राण ने 22 फिल्मों में निगेटिव रोल किया। आजादी के बाद उन्होंने लाहौर छोड़ दिया और मुंबई आ गए, यहां आने के बाद उन्हें फिल्म जिद्दी मिली। प्राण को हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म भूषण और दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया। उन्हें तीन बार फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का भी पुरस्कार मिल चुका है। वह लगभग 350 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं।

10 डायलॉग

करियर के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक डायलॉग बोलें। जिनमें से यह 10 काफी प्रसिद्ध थे। आज हम आपको उन 10 फेमस डायलॉग के बारे में बताएंगे।

  • शेर खान काले का धंधा करता है, लेकिन ईमानदारी से… जो की जंजीर फिल्म का डायलॉग है।
  • कर्ज चुकाने वाले की याद अक्सर कमजोर हो जाती है… यह क़र्ज़ फिल्म का डायलॉग है।
  • जुल्म करने वाला भी पापी, जुल्म फैलने वाला भी पापी… यह डायलॉग गंगा की सौगंध का है।
  • कपड़े बदलने से आदमी की असलियत नहीं बदलती… यह डायलॉग नसीब फिल्म का है।
  • मुसलमान के यहां परवरिश हिंदुओं से दोस्ती और अंग्रेजों के शौक बने हुए हैं मेरे… यह डायलॉग कर्ज़ फिल्म का है।
  • चांद को अपनी चांदनी साबित करने के लिए चिरागों की शहादत की जरूरत नहीं पड़ती… यह फिल्म शहंशाह का है।
  • एक बार मन को साफ कर लो, बार-बार स्नान नहीं करना पड़ेगा… यह डायलॉग गंगा की सौगंध का है।
  • शेर खान ने शादी नहीं की, तो क्या हुआ लेकिन बारातें बहुत देखी हैं… यह डायलॉग जंजीर फिल्म का है।
  • सच्ची अपना सबूत खुद होती है… यह डायलॉग शहंशाह का है।
  • शेर खान आज का काम चल पर नहीं छोड़ता… यह डायलॉग जंजीर फिल्म का है।

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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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