अमिताभ ने श्रीदेवी को भेजा था गुलाबों से भरा ट्रक, लेकिन फिर भी नहीं मानी! जानिए क्या था पूरा मामला

अमिताभ बच्चन ने श्रीदेवी को मनाने के लिए गुलाबों से भरा ट्रक भेजा, लेकिन श्रीदेवी ने फिल्म ठुकरा दी। बाद में उनकी एक शर्त पर बनी ‘खुदा गवाह’ सुपरहिट रही। आइए जानें इस दिलचस्प किस्से को।

अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी 90 के दशक में बॉलीवुड के बड़े सितारे थे। जब अमिताभ ने 1992 की फिल्म ‘खुदा गवाह’ के लिए श्रीदेवी को अप्रोच किया, तो श्रीदेवी ने पहले मना कर दिया। अमिताभ ने उन्हें मनाने के लिए एक ट्रक गुलाब भेजा, जो सेट पर पहुंचते ही पलट गया और श्रीदेवी फूलों से ढक गईं। लेकिन श्रीदेवी ने फिर भी मना कर दिया।

श्रीदेवी उस वक्त ऐसी फिल्में करना चाहती थीं, जिसमें फीमेल किरदारों को अहमियत दी जाए। अमिताभ के इस रोमांटिक जेस्चर के बावजूद वो नहीं मानीं। बाद में श्रीदेवी ने एक शर्त रखी कि वो फिल्म तभी करेंगी, अगर उन्हें डबल रोल मिले, अमिताभ की पत्नी और बेटी का। डायरेक्टर मुकुल आनंद और प्रोड्यूसर मनोज देसाई ने ये शर्त मानी। नतीजा, ‘खुदा गवाह’ सुपरहिट रही और दोनों की जोड़ी को खूब पसंद किया गया।

श्रीदेवी की शर्त और ‘खुदा गवाह’ की कहानी

‘खुदा गवाह’ में श्रीदेवी ने डबल रोल निभाया, अमिताभ की पत्नी शिवनाथ और उनकी बेटी मेहंदी का। फिल्म की कहानी बादशाह खान (अमिताभ) की है, जो अपनी पत्नी शिवनाथ से वादा करता है कि वो उसके भाई का बदला लेगा। इस वादे को पूरा करने के लिए वो भारत से अफगानिस्तान जाता है, लेकिन जेल में बंद हो जाता है। सालों बाद उसकी बेटी मेहंदी अपने पिता को ढूंढने निकलती है। श्रीदेवी का डबल रोल और अमिताभ की दमदार एक्टिंग ने फिल्म को क्लासिक बनाया। फिल्म में डैनी डेन्जोंगपा और किरण कुमार भी अहम रोल में थे। श्रीदेवी की शर्त ने कहानी को नया आयाम दिया, और उनकी परफॉर्मेंस को खूब सराहा गया।

पहले भी काम कर चुके थे साथ

अमिताभ और श्रीदेवी ने ‘खुदा गवाह’ से पहले भी कई फिल्मों में साथ काम किया था। 1984 की ‘इंकलाब’ और 1986 की ‘आखिरी रास्ता’ में दोनों की जोड़ी दिखी। बाद में 2012 में ‘इंग्लिश विंग्लिश’ में अमिताभ का कैमियो था। लेकिन ‘खुदा गवाह’ में उनकी केमिस्ट्री सबसे ज्यादा पसंद की गई। श्रीदेवी को उस वक्त ‘लेडी सुपरस्टार’ कहा जाता था, और वो हर फिल्म में फीमेल सेंट्रिक रोल्स की डिमांड करती थीं। अमिताभ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि श्रीदेवी के साथ काम करना हमेशा शानदार अनुभव रहा। श्रीदेवी की शर्त और उनके डेडिकेशन ने ‘खुदा गवाह’ को यादगार बना दिया। आज भी फैंस उनकी जोड़ी को याद करते हैं।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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