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Thu, Dec 18, 2025

82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में अनुपर्णा रॉय को मिला बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड, ऐसा कारनामा करने वाली बनीं पहली भारतीय

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
इटली में हुए 82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्ममेकर अनुपर्णा रॉय ने इतिहास रच दिया। उनकी फिल्म सॉन्ग ऑफ फॉरगेटन ट्रीज को ओरिजॉन्टी श्रेणी में बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड मिला।
82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में अनुपर्णा रॉय को मिला बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड, ऐसा कारनामा करने वाली बनीं पहली भारतीय

इटली में आयोजित 82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल का मंच इस बार भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। वेनिस फिल्म फेस्टिवल दुनिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में से एक है। यहां पुरस्कार जीतना किसी भी फिल्मकार के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। यहां पहली बार किसी भारतीय महिला फिल्ममेकर ने बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड अपने नाम किया है, जो कि देश के लिए बड़ी उपलब्धी मानी जा रही है।

दरअसल, इस फेस्टिवल में अनुपर्णा रॉय की फिल्म सॉन्ग ऑफ फॉरगेटन ट्रीज ने ज्यूरी का दिल जीता। साथ ही पूरी दुनिया में अलग ही इतिहास रच दिया है। जिसके बाद से वह मीडिया की सुर्खियों में आ गई हैं। आइए जानते हैं अनुपर्णा रॉय के बारे में विस्तार से…

कौन हैं अनुपर्णा रॉय?

अनुपर्णा रॉय का नाम आज भले ही सुर्खियों में है, लेकिन उनकी शुरुआत बेहद साधारण रही। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के एक छोटे से गांव नारायणपुर से निकलकर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। पढ़ाई-लिखाई में तेज होने के कारण उन्होंने बर्दवान विश्वविद्यालय से ब्रिटिश इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई के बाद दिल्ली और मुंबई की कॉर्पोरेट दुनिया में उन्होंने कई साल 9 से 5 बजे की नौकरी की। हालांकि, उनके मन में हमेशा सिनेमा के प्रति लगाव और कला के लिए जुनून रहा। यही जुनून उन्हें मायानगरी मुंबई तक खींच लाया।

एक्टिंग से निर्देशन तक का सफर

सिनेमा की बारीकियों को समझने के लिए अनुपर्णा ने अभिनेता अनुपम खेर के एक्टर प्रीपेयर्स इंस्टीट्यूट से एक्टिंग डिप्लोमा किया। इस दौरान उन्होंने कई वर्कशॉप में हिस्सा लिया और कैमरे के सामने और पीछे दोनों ही पहलुओं को करीब से समझा। बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर उनकी पहली शॉर्ट फिल्म रन टू द रिवर साल 2023 में रिलीज हुई। यह प्रोजेक्ट भले ही छोटा था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे जबरदस्त सराहना मिली।

 

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पहली फीचर फिल्म

असिस्टेंट डायरेक्टर के एक्सपीरिएंस के बाद अनुपर्णा ने खुद निर्देशन की बागडोर संभालने का फैसला लिया। उन्होंने सॉन्ग ऑफ फॉरगेटन ट्रीज बनाया। इस फिल्म के लिए उन्होंने फंडिंग, रिसर्च, स्क्रिप्ट और मेकिंग का पूरा जिम्मा खुद ही उठाया, जो कि सामाजिक और मानवीय मूल्यों पर आधारित है, जिसमें खोती हुई विरासत और प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते को पर्दे पर दिखाया गया है।

ऐतिहासिक उपलब्धि

सॉन्ग ऑफ फॉरगेटन ट्रीज को वेनिस फिल्म फेस्टिवल की ओरिजॉन्टी श्रेणी में शामिल किया गया था। इस श्रेणी में आमतौर पर उन फिल्मों को जगह दी जाती है, जो प्रयोगात्मक हों और नए दृष्टिकोण के साथ बनाई गई हों। अनुपर्णा की फिल्म ने यहां ज्यूरी को इतना प्रभावित किया कि उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड दिया गया। 82 साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि किसी भारतीय महिला फिल्ममेकर को यह सम्मान मिला।

भारत में जश्न का माहौल

अनुपर्णा की इस सफलता ने भारत में फिल्म इंडस्ट्री और युवाओं को नई प्रेरणा दी है। पश्चिम बंगाल के उनके पैतृक गांव से लेकर मुंबई तक हर जगह लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी उपलब्धि का जमकर जश्न मनाया जा रहा है। कई दिग्गज फिल्मकारों और अभिनेताओं ने अनुपर्णा की तारीफ करते हुए कहा कि उनका यह कदम भारतीय सिनेमा के लिए नए दरवाजे खोलेगा। खासकर उन युवाओं के लिए जो छोटे कस्बों और गांवों से आते हैं और बड़े सपने देखते हैं।