इस फिल्म को दोबारा बनाना लगभग नामुमकिन, मेक्सिको के जंगलों में बनी, शूटिंग में हजारों लोकल लोग शामिल हुए!

मेल गिब्सन की अपोकैलिप्टो एक ऐसी फिल्म है, जिसकी शूटिंग मेक्सिको के जंगलों में हुई और इसमें हजारों लोकल लोग शामिल थे। मायन सभ्यता की कहानी, जबरदस्त सिनेमैटोग्राफी और रॉ स्टोरीटेलिंग इसे अनोखा बनाती है। जानें इसकी कहानी, शूटिंग और इसे कहां देख सकते हैं।

‘अपोकैलिप्टो’ को दोबारा बनाना मुश्किल है, क्योंकि इसकी शूटिंग का स्केल, सांस्कृतिक सटीकता और प्रैक्टिकल अप्रोच आज के सिनेमा में दोहराना नामुमकिन है। पूरी फिल्म मायन भाषा (यूकाटेक) में है, और इसमें CGI का बहुत कम इस्तेमाल हुआ। मेक्सिको के जंगलों में हजारों लोकल लोगों के साथ शूटिंग, रियल सेट्स और प्रॉप्स इसे अनोखा बनाते हैं।

‘अपोकैलिप्टो’ 2006 में रिलीज हुई मेल गिब्सन की एक्शन-एडवेंचर फिल्म है। ये मायन सभ्यता के अंतिम दिनों की कहानी दिखाती है। फिल्म की कहानी जगुआर पॉ नाम के एक मायन योद्धा की है, जो अपनी जनजाति पर हमले के बाद अपने परिवार को बचाने की कोशिश करता है। उसकी पत्नी सात-आसमान और बेटा जंगल में एक गड्ढे में छुपे हैं, जबकि जगुआर पॉ को दुश्मन पकड़ लेते हैं। उसे बलिदान के लिए मायन शहर ले जाया जाता है, लेकिन वो भाग निकलता है और जंगल में एक खतरनाक चेज शुरू होता है। मायन सभ्यता की क्रूरता, बलिदान और पतन को फिल्म में रॉ ढंग से दिखाया गया है।

मेक्सिको की शूटिंग और हजारों लोकल लोग

‘अपोकैलिप्टो’ की शूटिंग मेक्सिको के वेराक्रूज और क्विंटाना रू के जंगलों में हुई। इसमें 700 क्रू मेंबर्स और हजारों लोकल लोग शामिल थे, जिन्हें मायन सभ्यता के लोगों के तौर पर दिखाया गया। मायन शहर के सेट्स सैन बार्टोलो और बोनमपाक म्यूरल्स से प्रेरित थे। चेज सीन में असली जंगल और 150 फीट ऊंचे झरने का इस्तेमाल हुआ, जिसे स्पाइडरकैम से शूट किया गया। लोकल लोगों ने एक्टिंग के साथ सेट बनाने में भी मदद की। लेकिन शूटिंग के दौरान भारी बारिश और तूफानों ने कई बार रुकावट डाली। 2005 में शुरू हुई शूटिंग 2006 तक चली, और बारिश की वजह से रिलीज 8 दिसंबर 2006 को हुई। आज इतने बड़े स्केल पर प्रैक्टिकल शूटिंग करना बजट और लॉजिस्टिक्स की वजह से मुश्किल है।

इसे दोबारा बनाना क्यों है मुश्किल और कहां देखें?

‘अपोकैलिप्टो’ को दोबारा बनाना कई वजहों से मुश्किल है। मेक्सिको के जंगलों में हजारों लोकल लोगों के साथ शूटिंग आज बजट और सेफ्टी इश्यूज की वजह से मुश्किल है। पूरी फिल्म मायन भाषा में है, जो ऑडियंस को इमर्सिव फील देती है, लेकिन आज कमर्शियल सिनेमा में ऐसी रिस्क कम ली जाती है। हिंसा और बलिदान के रॉ सीन सेंसरशिप और ऑडियंस की संवेदनशीलता की वजह से चुनौती बन सकते हैं। मेल गिब्सन ने प्रैक्टिकल इफेक्ट्स पर जोर दिया, जैसे असली पिरामिड सेट और जंगल के सीन। क्रिटिक्स ने इसे ‘विसुअल मास्टरपीस’ कहा, लेकिन कुछ इतिहासकारों ने मायन सभ्यता को ज्यादा हिंसक दिखाने की आलोचना की। ‘अपोकैलिप्टो’ को आप अमेजन प्राइम वीडियो, यूट्यूब (रेंट पर) और डिज्नी+ हॉटस्टार पर देख सकते हैं। हिंदी डब और सबटाइटल्स भी उपलब्ध हैं। IMDb रेटिंग 7.8 के साथ ये फिल्म सिनेमा में एक बार ही बनने वाली मास्टरपीस है।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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