‘शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो’ अमिताभ बच्चन को नींद क्यों नहीं आती, सोशल मीडिया पर लिखी ये बात

नींद न आने का सबब सबके लिए अलग हो सकता है। लेकिन किसी आम आदमी से पूछा जाए कि बिग बी को नींद क्यों नहीं आई तो एकबारगी वो भी सोच में पड़ जाएगा। भला ऐसी क्या बात है, क्या ख़याल, क्या फ़िक्र, क्या तकलीफ़ या फिर क्या ख़ुशी जिस कारण उन्हें भी नींद नहीं आ रही। आख़िर क्यों 'शहंशाह' भी आँखों में रात काट रहे हैं।

Amitabh

‘नींद रातों की उड़ा देते हैं, हम सितारों को दुआ देते हैं
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू, ख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं’

मोहम्मद अल्वी का ये शेर उनपर तो मुफ़ीद बैठता है जिनके दिल में कोई ग़म हो..आँखों में बेचैनी। फिर भले ग़म-ए-इश्क़ हो या ग़म-ए-रोज़गार। किसी को महबूबा की याद में नींद नहीं आती तो किसी को राशन की फ़िक्र में। कोई ज़ुल्फ़ों के पेचोख़म में उलझा है तो कोई ज़िंदगी कि चकरघिन्नी में। ऐसे तमाम कारण है नींद न आने के…लेकिन आख़िर बॉलीवुड के शहंशाह, सदी के महानायक, बिग बी अमिताभ बच्चन को नींद क्यों नहीं आती ?

मज़मून ये है कि ‘बड़े मियां’ ख़ुद इस बाबत इत्तिला कर रहे हैं। अपने सोशल मीडिया अकाउंट से उन्होंने बाक़ायदा इस बात का ऐलान किया है कि गई रात उन्हें नींद नहीं आई। आलम ये रहा कि सुबह के पाँच बजे तक वो जागते रहे और फिर कुछ नहीं सूझा तो आख़िरकार ‘एक्स’ पर पोस्ट ही डाल दी। इस तरह ख़ास-ओ-आम को पता चला कि कम्बख़्त नींद न आने की बीमारी सिर्फ़ उन्हीं को नहीं है। मखमली बिछौने पर भी बाज़ दफ़ा नींद दग़ा दे जाती है। वरना तो लोग ये समझे बैठे थे कि नींद और ख़्वाब भी तरसते होंगे अमिताभ बच्चन की आँखों में आने के लिए।

तो साहब..नींद न आना कोई जुमला भर नहीं है, न ही कोई शायराना ख़याल। कई बार यूँ ही नींद नहीं आती तो कई बार ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत या खुद बड़ी बीमारी भी हो सकती है। जिन्हें कई कई रातें नींद नहीं आती वो जानते हैं इसकी तकलीफ़। कहते हैं ‘नींद न जाने टूटी खाट, भूख न जाने बासी भात’। इसी तर्ज़ पर कुछ अलग तरह से ये भी कहा जा सकता है कि मुलायम बिस्तर, कामयाब करियर, अकाउंट में ढेर पैसा या बहुत सारी सुविधाएँ होना भी नींद की गारंटी नहीं है। नींद बड़ी मनमौजी शै है। उसकी मर्ज़ी हो तो बिन बुलाए आ जाए और न हो तो लाख कोशिशें नाकाम। यही बात तो अमिताभ बच्चन भी कह रहे हैं, कि ‘मौत का एक दिन मुअ’य्यन है नींद क्यूँ रात भर नहीं आती।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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