बॉलीवुड के सुनहरे दौर में कई एक्टर्स ने अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन कुछ की जिंदगी स्क्रीन के पीछे बेहद साधारण रही। ऐसा ही एक नाम है मुराद, जिन्होंने मुगल-ए-आजम, दो बीघा जमीन और देवदास जैसी फिल्मों में यादगार किरदार निभाए। 500 से ज्यादा फिल्मों में काम करने के बावजूद, उनकी जिंदगी में आर्थिक तंगी बनी रही। उनके बेटे रजा मुराद, जो खुद एक मशहूर एक्टर हैं, ने बताया कि उनके पिता कभी कार नहीं खरीद सके और भोपाल में उनका घर बिना बिजली के था।
मुराद की जिंदगी की कहानी बेहद प्रेरक है। उन्होंने आजादी से पहले फिल्मी करियर शुरू किया और 500 से ज्यादा फिल्मों में जज, बादशाह और पिता जैसे किरदार निभाए। उनकी खासियत थी कि वह छोटे रोल्स में भी गहरी छाप छोड़ते थे। फिर भी, उनकी कमाई इतनी नहीं थी कि वह अपने लिए घर या गाड़ी खरीद सकें। रजा मुराद ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि वह रात में स्ट्रीट लैंप के नीचे पढ़ाई करते थे, क्योंकि घर में बिजली का कनेक्शन नहीं था। ये कहानी बॉलीवुड के उस दौर की सच्चाई को उजागर करती है, जब कई कलाकारों को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
साधारण जिंदगी, असाधारण काम
मुराद ने अपने करियर में मुगल-ए-आजम, अंदाज और टार्जन गोज टू इंडिया जैसी फिल्मों में काम किया। वह बॉलीवुड के उन चुनिंदा एक्टर्स में थे, जिन्होंने हॉलीवुड प्रोजेक्ट्स में भी हिस्सा लिया। उनके किरदारों में अक्सर गंभीरता और रौब होता था, खासकर जब वह जज के रोल में नजर आते थे। रजा मुराद के मुताबिक, उनके पिता ने 300 से ज्यादा फिल्मों में जज का रोल निभाया। लेकिन, उनकी सादगी ऐसी थी कि वह हमेशा किराए के मकान में रहे और रिक्शा या बस से सफर करते थे। रजा ने अपने पिता की इन मुश्किलों से सीखा और करियर की शुरुआत में ही अपना घर खरीद लिया।
बॉलीवुड में दो पीढ़ियों की विरासत
मुराद का परिवार बॉलीवुड को दो पीढ़ियों की प्रतिभा दे चुका है। उनके बेटे रजा मुराद ने 80 के दशक में विलेन के किरदारों से अपनी अलग पहचान बनाई। रजा ने शहंशाह और राम लखन जैसी फिल्मों में काम किया और आज भी वह एक्टिव हैं। इसके अलावा, मुराद की भतीजी जीनत अमान बॉलीवुड की आइकॉनिक एक्ट्रेस रहीं, जिन्होंने हरे रामा हरे कृष्णा और सत्यम शिवम सुंदरम जैसी फिल्मों में काम किया। मुराद की कहानी हमें सिखाती है कि शोहरत और मेहनत के बावजूद जिंदगी में सादगी और संघर्ष का रोल अहम रहता है।





