Bollywood Horror Movie : बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों का पहला अनुभव 1920 के दशक में हुआ था लेकिन उस समय से अब तक बहुत से बॉलीवुड फिल्में रिलीज हुई हैं जिसे देखते ही आपकी रुह कांप उठेगी, जिन्हें आप अकेले बैठ कर नहीं देख सकते दरअसल, हॉरर फिल्म एक ऐसी फिल्म होती है जो डर का महसूस कराती है और डरावने प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करती है। इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य दर का उत्पन्न करना होता है। इसमें अक्सर विभिन्न भयानक घटनाओं पर आधारित होता है। इसके लिए कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जैसे भयानक संगठन, संज्ञानशक्ति, अंधेरे का उपयोग, अजीब ध्वनि और चीखें, असंभव शारीरिक समझौते दृश्यों का उपयोग करना।
डरावनी फिल्मों के नाम
- राज (Raaz, 2002)
- भूत (Bhoot, 2003)
- राज 2 (Raaz, 2009)
- फिर (Phir, 2011)
- डर (Darr, 1993)
- जानी दुश्मन (Jaani Dushman, 1979)
- मकड़ी (Makdee, 2002)
- राज 3 (Raaz 3, 2012)
- स्त्री (Stree, 2018)
- शापित (Shaapit, 2010)
- भूल भुलैया (Bhool Bhulaiyaa, 2007)
- फिल्म टाइटल: 13 बी (13B, 2009)
- गमन (Gumnaam, 1965)
- तलाश (Talaash: The Answer Lies Within, 2012)
हॉलीवुड को दे रहा टक्कर
हालांकि, हॉलीवुड डरावनी फिल्मों के लिए अपनी पहचान बनाई हुई है लेकिन बॉलीवुड फिल्में भी आजकल काफी अच्छा कारोबार कर रहा है। बॉलीवुड फिल्मों में डर और थ्रिलर के मामले में काफी विकास हुआ है और कुछ फिल्में जैसे कि रात, भूत, शापित, राज 3, फिल्म टाइटल: 13 बी, आदि लोगों को डराने वाली हैं और अपनी जगह बना ली हैं। ऐसी फिल्मों का जोर भारतीय उद्योग में आजकल बढ़ रहा है और यह उम्मीद है कि इस दिशा में आगे भी अधिक से अधिक विकास होगा।
फिल्मों का बजट
डरावनी फिल्मों को बनाने के लिए बॉलीवुड स्टूडियो और निर्माताओं द्वारा विभिन्न बजटों का उपयोग किया जाता है। बजट फिल्म के विषय, कलाकारों, स्टाफ, स्टूडियो का चयन, सेट और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन आदि के आधार पर निर्धारित किया जाता है। डरावनी फिल्मों का बजट आमतौर पर माध्यम से लेकर ऊँचा होता है, क्योंकि इसमें विशेष इफेक्ट, धारणा विज्ञान, ऑडियो विशेषज्ञता और समीक्षा विशेषज्ञता जैसे तकनीकी अंश होते हैं। इसलिए, बॉलीवुड में डरावनी फिल्मों का बजट लगभग 50 लाख रुपये से शुरू होता है और कुछ बड़ी बजट फिल्मों में बजट करोड़ों रुपयों तक पहुंच सकता है।
कैसे उत्पन्न होता है डर
दरअसल, इन फिल्मों को देखकर मन में वो डर कैसे उत्पन्न हो जाता है। चलिए विस्तारपूर्वक बताते हैं हम आपको। हॉरर फिल्में देखकर डर का अनुभव होना एक सामान्य चीज है। ये फिल्में हमारी संवेदनाओं को चुनौती देती हैं और हमारी भावनाओं को प्रभावित करती हैं। इसके अलावा, इन फिल्मों में धारणा विज्ञान, विशेष इफेक्ट और ध्वनि प्रभावों जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है जो हमारे भ्रम और भय को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, हॉरर फिल्में अक्सर हमारी अंतरात्मा की गहराइयों तक पहुंचती हैं और हमारे अंदर छिपे हुए भय को जगाती है। ये फिल्में हमारे सबसे अधिक भय का अनुभव करने और विचारों को भी चुनौती देती हैं। इसलिए, हॉरर फिल्में देखने से हमें डर का अनुभव होता है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)