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Sun, Dec 7, 2025

बिना गाने और प्रमोशन के आईकॉनिक बनी 17 साल पुरानी ये फिल्म, दमदार कहानी से जीता नेशनल अवॉर्ड

Written by:Diksha Bhanupriy
बॉलीवुड फिल्मों की सफलता के लिए मेकर्स उनका जोर शोर से प्रमोशन करते हैं। आज हम आपको एक ऐसी फिल्म के बारे में बताते हैं जो बिना प्रमोशन के ही हिट साबित हो गई थी।
बिना गाने और प्रमोशन के आईकॉनिक बनी 17 साल पुरानी ये फिल्म, दमदार कहानी से जीता नेशनल अवॉर्ड

बॉलीवुड इंडस्ट्री में दर्शकों के मनोरंजन के लिए एक से बढ़कर एक फिल्में बनाई जाती है। यह सभी फिल्में अलग-अलग कहानियों की वजह से दर्शकों के बीच चर्चा में आ जाती है। कुछ फिल्में ऐसी होती है जो अपनी कहानी या फिर किसी किरदार की वजह से आईकॉनिक बन जाती है।

कभी किसी फिल्म का डायलॉग कभी गाना दर्शकों को थिएटर तक लाने का काम करता है। फिल्मों को हिट बनाने के लिए उनके प्रमोशन पर काफी ध्यान दिया जाता है। कई बार तो प्रमोशन कितना अच्छा होता है की औसत फिल्में भी अच्छा प्रदर्शन कर जाती है। वैसे फिल्मों को सफलता केवल उसके कंटेंट की वजह से मिलती है। आज हम आपको एक ऐसी आईकॉनिक फिल्म के बारे में बताते हैं जिससे पहले तो रिस्पांस नहीं मिला लेकिन फिर यह आईकॉनिक मूवी बन गई और ताबड़तोड़ कमाई करने के साथ इसने नेशनल अवॉर्ड जीते थे। चलिए इस फिल्म के बारे में जान लेते हैं।

जब क्राइम थ्रिलर बनी आइकॉनिक (Bollywood Iconic Movie)

साल 2008 में सिनेमाघर में एक शानदार क्राईम थ्रिलर मूवी रिलीज की गई थी। इस फिल्म में एक भी रोमांटिक सीन या फिर गाना नहीं था। फिल्म का किसी भी तरह से प्रमोशन भी नहीं किया गया था। इसके बावजूद भी उसने बॉलीवुड में अपनी अलग जगह बनाई। नीरज पांडे ने ही इसे लिखा था और डायरेक्ट भी किया था। ये फिल्म ए वेडनसडे थी जो 5 सितंबर 2008 को रिलीज हुई थी। मुंबई शहर की एक कहानी केवल एक दिन पर फिल्माई गई थी जिनके 2:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक कि इस कहानी को बेहतरीन तरीके से पर्दे पर पेश किया गया था।

नजर आए थे ये कलाकार

इस फिल्म में अनुपम खेर को पुलिस कमिश्नर के किरदार में देखा गया था। उन्होंने रियल लाइफ पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की तरह इस किरदार को निभाया था। अनुपम ने खुद बताया था कि उन्होंने अधिकारी के चलने से उतने बैठने के अंदाज को कॉपी किया था।

अनुपम के साथ नसीरुद्दीन शाह और जिमी शेरगिल जैसे शानदार सितारे नजर आए थे। सपोर्टिंग रोल में आमिर बसीर और दीपक शॉ जैसे कैरेक्टर नजर आए थे। जब यह फिल्म रिलीज हुई उसके बाद माउथ पब्लिसिटी के जरिए दर्शन थिएटर में इकट्ठा हुए। इससे ये फिल्म कल्ट मूवीज की लिस्ट में शामिल हो गई।

कैसी थी कहानी

इस फिल्म की कहानी की बात करें तो यह एक अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में कॉफी और सैंडविच के साथ बैठे एक आम आदमी की व्यथा बताती है। जिसने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को हिला कर रख दिया था। यह फिल्म इतनी रियल तरीके से फिल्माई गई थी कि दर्शकों को लग रहा था कि उनकी कहानी बताई जा रही है। एक भी सीन फेक नहीं था और दर्शकों ने इसे करीब से महसूस किया। बताओ डायरेक्ट यह नीरज पांडे की पहली फिल्म थी और इसे उन्होंने बखूबी पेश किया।