बॉलीवुड की कई मशहूर अभिनेत्रियां ऐसी रही हैं जिन्होंने सिंगल मदर बनकर अपने बच्चों की परवरिश की और एक नई मिसाल पेश की। नीना गुप्ता, बबीता कपूर, पूजा बेदी और पूनम ढिल्लों जैसी महिलाएं समाज के उस ढांचे को चुनौती देती हैं जिसमें मां को हमेशा एक पुरुष सहारे की जरूरत बताई जाती है। इनकी जिंदगी लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती है।
नीना गुप्ता ने 1988 में बिना शादी के मसाबा को जन्म दिया और समाज की आलोचनाओं के बावजूद अपनी बेटी को अकेले पाला। मसाबा आज भारत की जानी-मानी फैशन डिज़ाइनर हैं। बबीता कपूर ने भी अपने पति रणधीर कपूर से अलग होने के बाद दोनों बेटियों करीना और करिश्मा की परवरिश अकेले की। पूजा बेदी ने तलाक के बाद अपने बच्चों ओमर और आलिया को प्राथमिकता दी और एक मजबूत मां बनकर उभरीं। पूनम ढिल्लों ने अपने पति से अलग होने के बाद खुद ही बच्चों की जिम्मेदारी उठाई। ये कहानियां सिर्फ संघर्ष नहीं, बल्कि जीत की मिसाल हैं।

नीना गुप्ता और बबीता कपूर की बेबाक मातृत्व यात्रा
नीना गुप्ता ने उस दौर में बिना शादी के बच्ची को जन्म देने का फैसला लिया जब समाज इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने एक सिंगल पैरेंट के रूप में अपनी बेटी मसाबा को जीवन की हर सुविधा और प्यार दिया। मसाबा ने भी अपनी मां की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने हमेशा उन्हें मजबूत बनना सिखाया।
बबीता कपूर ने कपूर खानदान से होने के बावजूद पति रणधीर कपूर से अलग होकर अकेले बेटियों को पाला। करिश्मा और करीना दोनों आज सफल अभिनेत्रियां हैं और इसका श्रेय उनकी मां के मार्गदर्शन को जाता है। उन्होंने अपने दम पर बच्चों को स्टार बनाया और यह साबित किया कि एक मां सब कुछ कर सकती है।
पूजा बेदी और पूनम ढिल्लों ने कैसे निभाई मां की दोहरी भूमिका
पूजा बेदी ने 1990 में फरहान इब्राहिम से शादी की थी, लेकिन कुछ ही सालों में यह रिश्ता टूट गया। इसके बाद उन्होंने बच्चों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। पूजा ने हमेशा अपने बच्चों को प्राथमिकता दी और उन्हें एक अच्छा जीवन देने के लिए हर संघर्ष झेला। उनकी बेटी आलिया बेदी आज एक उद्यमी हैं।
पूनम ढिल्लों ने भी शादी टूटने के बाद बच्चों को अकेले पाला। उनकी बेटी पलोमा ढिल्लों अब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख चुकी हैं। पूनम ने साबित किया कि सिंगल मदर होना कमजोरी नहीं, बल्कि एक साहसिक कदम है। उन्होंने दिखाया कि एक महिला अगर ठान ले तो किसी भी परिस्थिति में अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य दे सकती है।