मोहित सूरी के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘सैयारा’ (Saiyaara) का खुमार जेनरेशन-ज़ी के बीच ज़बरदस्त तरीके से देखा जा रहा है। इसमें मुख्य किरदार निभाने वाले अहान पांडे और अनीत पड्डा आज के युवा दिलों की नई धड़कन बन चुके हैं।
इस फ़िल्म का गाना ‘सैयारा तू तो, बदला नहीं है’ लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आख़िर प्रेमी या महबूब को ‘सैयारा’ क्यों कहा जाता है? इस शब्द के पीछे छिपा है एक गहरा और खूबसूरत अर्थ, जो आज भी फ़िल्मी गीतों में जिंदा है।
क्या है ‘सैयारा’ शब्द का असली मतलब?
‘सैयारा’ शब्द की जड़ें फ़ारसी और अरबी भाषाओं से जुड़ी हैं। इसका मतलब होता है, ‘घूमने वाला’, ‘आवारा’ या ‘एक ऐसा तारा जो कभी एक जगह नहीं टिकता’। हिंदी गीतों में इसे अक्सर एक ऐसे महबूब के रूप में दर्शाया जाता है, जो सीमाओं में नहीं बंधता।
फ़िल्मों में कैसे हुआ इस्तेमाल
‘सैयारा’ शब्द को बॉलीवुड ने ख़ास रूप से रोमांटिक अंदाज़ में अपनाया। साल 2012 की फ़िल्म ‘एक था टाइगर’ में जब यह गाना आया, “सैयारा रे सैयारा”, तब लोगों ने इस शब्द को एक नए मायने में समझा।
आज की पीढ़ी क्यों हो रही है दीवानी
आज की युवा पीढ़ी ‘सैयारा’ शब्द से खुद को जोड़ पा रही है क्योंकि ये एक ऐसा भाव है जो आज़ादी, सफ़र, और बंधनों से मुक्त प्रेम का प्रतीक बन गया है। अहान पांडे और अनीत पड्डा की नई फ़िल्म ने इस शब्द को फिर से युवाओं के दिल में बसा दिया है।
‘सैयारा’ फिल्म को लोग इतना क्यों पसंद कर रहे हैं?
‘सैयारा’ फिल्म को लोग इसलिए इतना पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसकी कहानी दिल को छू जाती है। इसमें सच्चे प्यार, दूरी और टूटे रिश्तों की बात की गई है, जो आज के नौजवानों की ज़िंदगी से जुड़ी हुई लगती है। फिल्म का संगीत, एक्टिंग और हर सीन में जो भावनाएं दिखाई गई हैं, वो सीधे दिल तक पहुंचती हैं। इसी वजह से लोग इस फिल्म से जुड़ पा रहे हैं और इसे बार-बार देखना पसंद कर रहे हैं।





