फिल्म ‘गंगाजल’ ने पूरे किए 20 साल, आज भी कायम है जलवा, जानें मूवी से जुड़ी रोचक बातें

Sanjucta Pandit
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Gangaajal 20 Years : गंगाजल एक भारतीय एक्शन-क्राइम फिल्म है जो कि 29 अगस्त 2003 को रिलीज हुई थी। इसमें अजय देवगन, ग्राजिया चिन्ता, मुकेश तिवारी, यशपाल शर्मा जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थी। फिल्म की कहानी बिहार के एक छोटे से गांव में होने वाली भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी और न्याय की कठिनाइयों से जुड़ी है। अजय देवगन ने इस फिल्म में प्रमुख किरदार में एक उत्तराधिकारी पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया था, जो इन दुखद समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करता है। फिल्म ने समाज में न्याय की महत्व को दिखाया गया है। जिसे आज पूरे 20 साल पूरे हो चुके हैं। आइए जानते हैं फिल्म से जुड़ी रोचक बातें…
फिल्म 'गंगाजल' ने पूरे किए 20 साल, आज भी कायम है जलवा, जानें मूवी से जुड़ी रोचक बातें

महाराष्ट्र में हुई थी शुटिंग

“गंगाजल” फिल्म बिहार में तेजपुर जिले के एक IPS अफसर अमित कुमार के कार्यकाल पर आधारित थी, जहां हो रहे अपराधों के खिलाफ एक सख्त और सच्चे नेता ऑफिसर की कहानी है, जिन्होंने अपने सामर्थ्य, साहस और सिद्धांतों के साथ सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम उठाया। बता दें कि फिल्म की पूरी शुटिंग महाराष्ट्र में ही की गई है। इस फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी।

विवादों में भी घिर गई थी फिल्म

हालांकि, रिलीज होने के बाद फिल्म विवादों में भी घिर गई थी। फिल्म में विलेन का किरदार निभाने वाले नाम “साधू यादव” से जुड़े विवाद उठे थे। यह नाम एक प्रसिद्ध नेता साधू यादव से मिलता जुलता था और उन्हें इसके बारे में पता चलते ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन आरंभ किया। उनके समर्थकों ने बिहार के पटना शहर में वीणा और अप्सरा सिनेमा में तोड़फोड़ की और फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने का प्रयास किया। यह स्थिति बहुत गंभीर थी और उस समय काफी चर्चा हुई थी कि क्या फिल्म को स्क्रीनिंग करने दिया जाना चाहिए या नहीं। जिसके बाद फिल्म के निर्माता प्रकाश झा ने खुद समस्या का समाधान किया और साधू यादव के साथ किसी भी प्रकार के संबंध नहीं होने का स्पष्टीकरण किया। इसके बाद, फिल्म की स्क्रीनिंग शुरू हो गई और वह बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त करने में सफल रही।

ये थी कहानी

“गंगाजल” शब्द का प्रयोग फिल्म की कहानी में विशेष तरीके से किया गया था। गंगा नदी का पानी हिन्दू धर्म में पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और व्यक्ति को उसके स्पर्श से शुद्धि मिलती है लेकिन फिल्म में तेजाब (एसिड) का प्रतीक गंगाजल के रूप में उपयोग किया गया, जिसे पुलिस उपयोग करके अपराधियों की आंखों में डालते हैं। यह मूवी आखंफोडवा कांड पर बनाई गई थी। जब हकीकत में खबरों के मुताबिक, साल 1980 में पुलिसवालों ने 33 आरोपियों के आंख में तेजाब डालकर आंख फोड दिए थे। फिल्म में इसके माध्यम से उस समय की समाजिक स्थितियों को दर्शाया जाता है जब पुलिस वाले आम लोगों के खिलाफ ब्रूटलिटी का इस्तेमाल करते थे और वे उन्हें दरिद्रता में डुबा देते थे। इसके बावजूद, अमित कुमार जैसे ईमानदार पुलिस अधिकारी समाज के खिलाफ लड़ाई लड़कर उन अधिकारियों को खारिज करने का प्रयास करते हुए नजर आते हैं जो ब्रूटल और भ्रष्ट थे।

बॉक्स ऑफिस पर किया अच्छा प्रदर्शन

फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था। इसे देशभर में 290 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया था और पहले दिन ही उसने ₹ 10.8 मिलियन की कमाई की थी। फिल्म ने अपने शुरुआती सप्ताहांत के अंत तक ₹ 31 मिलियन की कमाई की और अपने पहले सप्ताह के बाद ₹ 52.2 मिलियन की कमाई की। भारत में फिल्म ने कुल में ₹ 163.3 मिलियन कमाए। विदेश में भी फिल्म ने स्क्रीनिंग के पहले सप्ताह के बाद 1.1 मिलियन की कमाई की।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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