1972 में रिलीज हुई इस फिल्म को बनने में लगे थे 14 साल, जानिए शूटिंग रुकने का क्या था कारण

फिल्म 'पाकीजा' को बनने में पूरे 14 साल लगे थे और इसकी रिलीज के कुछ ही समय बाद मीना कुमारी का निधन हो गया था। कमाल अमरोही के निर्देशन में बनी इस क्लासिक फिल्म को आज भी इसके गाने, डायलॉग और विजुअल्स के लिए याद किया जाता है।

‘पाकीजा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा के इतिहास का अनमोल हिस्सा है। इसे बनने में 14 साल लगे, और जब यह रिलीज हुई, तब दर्शकों की प्रतिक्रिया ठंडी थी। लेकिन मीना कुमारी की मौत ने इस फिल्म को एक भावनात्मक गहराई दे दी, और यह धीरे-धीरे एक कल्ट क्लासिक बन गई।

‘पाकीजा’ की शुरुआत साल 1958 में हुई थी, जब इसे ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किया जा रहा था। लेकिन जैसे-जैसे सिनेमा में टेक्नोलॉजी बदली, वैसे-वैसे फिल्म की शूटिंग भी रुकती और दोबारा शुरू होती रही। जब कलर फिल्में ट्रेंड में आईं, तो पहले से शूट किए गए सीन हटा दिए गए और फिल्म को फिर से शूट किया गया। इसके बाद जब सिनेमास्कोप तकनीक आई, तो फिर से फिल्म को उसी अंदाज में दोबारा शूट किया गया।

क्यों रुकी थी फिल्म की शूटिंग?

1964 में मीना कुमारी और उनके पति कमाल अमरोही के रिश्तों में दरार आई, जिससे फिल्म की शूटिंग रुक गई। ये दौर मीना की निजी ज़िंदगी के लिए भी बेहद मुश्किल रहा। शूटिंग फिर से 1968 में शुरू हुई, जब मीना कुमारी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। वो शराब की लत और खराब सेहत के बावजूद शूटिंग करती रहीं। उनकी मेहनत और जुनून ने इस फिल्म को एक ऐतिहासिक पहचान दिलाई। जब ‘पाकीजा’ 1972 में रिलीज हुई, तब बॉक्स ऑफिस पर इसका प्रदर्शन औसत था। लेकिन फिल्म रिलीज के दो महीने बाद मीना कुमारी की मौत हो गई, जिसने दर्शकों को इमोशनल रुप से इस फिल्म से जोड़ दिया। लोगों ने फिल्म को एक श्रद्धांजलि के रूप में देखा और यह धीरे-धीरे एक कल्ट क्लासिक बन गई।

इस फिल्म में गाने और डायलॉग्स ने भी अहम भूमिका निभाई। “चलते चलते”, “इन आंखों की मस्ती” और “ठाड़े रहियो” जैसे गाने आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने तब थे। मीना कुमारी के अभिनय ने तवायफ के किरदार को एक नई पहचान दी और लोगों के दिलों में अमर बना दिया। उनकी अदायगी और ट्रैजिक पर्सनल लाइफ ने इस फिल्म को और भी खास बना दिया।

कमाल अमरोही और मीना कुमारी की टूटती शादी का फिल्म पर असर

कमाल अमरोही न सिर्फ फिल्म के डायरेक्टर थे बल्कि मीना कुमारी के पति भी थे। उनकी शादी और बाद में हुआ अलगाव, ‘पाकीजा’ की देरी की सबसे बड़ी वजहों में से एक बना। 1964 में जब दोनों अलग हुए, फिल्म की शूटिंग ठप हो गई। हालांकि चार साल बाद जब दोनों ने फिल्म को दोबारा शुरू किया, तब भी रिश्ते में दिक्कत थी। इसके बावजूद मीना कुमारी ने अपने प्रोफेशनलिज्म का उदाहरण दिया और फिल्म को पूरा किया। शूटिंग के दौरान उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया, लेकिन उन्होंने फिल्म को पूरा करने की ज़िद नहीं छोड़ी।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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