आज हम आपको बॉलीवुड की उस फिल्म से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसने शोले का रंग फीका कर दिया था। थिएटर में यह फिल्म काफी लंबे समय तक चली थी और कोई भी से टक्कर नहीं दे पाया था। सबसे बड़ी बात यह है कि इस फिल्म को देखने के लिए लोग चप्पल उतार कर थिएटर में घुसते थे। इससे पता चलता है कि लोगों में कितनी ज्यादा आस्था है। हिंदू धर्म में हर एक दिन का अपना अलग-अलग महत्व होता है। ऐसे में शुक्रवार का दिन संतोषी माता को समर्पित होता है। इस दिन लोग मां संतोषी को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं। विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा अर्चना करते हैं। उनकी कृपा प्राप्त होने से घर में शांति का माहौल बना रहता है। जिंदगी में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
दरअसल, इस फिल्म का नाम जय संतोषी मां है, जो सिनेमाघर में 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी। जिसे परिवार के साथ लोग देखने के लिए थिएटर पहुंचते थे।

भजन हुआ चर्चित
यह फिल्म इतनी ज्यादा चर्चित रही कि अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले भी इस फिल्म के आगे फीकी पड़ गई थी। फिल्म का हर एक गाना सुपरहिट था। जिनमें “मैं तो आरती उतारू रे, संतोषी माता की” भजन शुरू होते ही लोग भक्ति में डूब जाते थे। जिसकी गायिका उषा मंगेशकर थी, जिसे संगीत सी अर्जुन ने दिया था। आगे चलकर यह गाना मंदिरों में संतोषी माता की आरती के रूप में गया जाने लगा।
लोगों में था क्रेज
इसके अलावा, फिल्म में “जय जय संतोषी माता जय जय मां”, “यहां वहां जहां देखूं”, “करती हूं व्रत तुम्हारा”, “मदद करो संतोषी माता” गाना भी बहुत ही ज्यादा प्रचलित हुआ। इस फिल्म को देखने के लिए दर्शक थिएटर में एंट्री से पहले चप्पल उतार देते थे। केवल इतना ही नहीं, वह अपने हाथ में फूल और सिक्के लेकर बैठते थे। यह फिल्म 1975 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली दूसरी हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म का क्रेज आज भी दर्शकों के बीच देखने को मिलता है।
खासकर जब उस जमाने में पसंद किए जाने वाले फिल्मों की बात आती है, तो इस फिल्म का जिक्र अवश्य किया जाता है। साथ ही इससे जुड़े कई सारी कहानियां भी सुनने को मिलती है।