बॉलीवुड से लेकर साउथ और हॉलीवुड सभी जगह पर हॉरर मूवी का क्रेज जरूर देखने को मिलता है। वैसे तो लगभग सभी स्ट्रीम की फिल्में हर इंडस्ट्री में बनाई जाती है। लेकिन हॉरर एक ऐसा जॉनर है जिसे दर्शक बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। भूल भुलैया, 1920 या फिर स्त्री यह बॉलीवुड में बनाई गई ऐसी फिल्में हैं जिन्हें दर्शक बहुत पसंद करते हैं। इन सारी फिल्मों के बारे में तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि भारत में पहली डरावनी फिल्म कब और कैसे बनी थी।
आजकल जितने भी हॉरर फिल्में बनती हैं उसमें मेकर्स जमकर कॉमेडी का तड़का लगते हैं। आजकल जो भी फिल्में आती है उनमें केवल डर नहीं बल्कि हंसी भी होती है। इस तरह का कंटेंट लोगों को काफी आकर्षित भी कर रहा है। जो लोग डरावनी फिल्में देखने से परहेज करते हैं वह भी ऐसी कहानी देखने लगे हैं। आज हम आपको बताते हैं कि पहले हॉरर फिल्म कौन सी थी। यह भी जान लीजिए कि इसमें कॉमेडी का कोई भी फैक्टर नहीं था और इसने लोगों का दिल दहला दिया था।
भारत की पहली हॉरर फिल्म (First Horror Movie)
भारत की पहली हॉरर फिल्म महल थी। इस फिल्म को 1949 में कमल अमरोही ने निर्देशित किया था। 2 घंटे 45 मिनट की इस डरावनी फिल्म में दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार, मधुबाला, कनु रॉय, एम कुमार और लीला पांडे जैसे कलाकारों को देखा गया था। बॉम्बे टॉकीज के बैनर के लिए बनाई गई यह फिल्म पहले हॉरर मूवी होने के साथ उसे वक्त की सबसे महंगी फिल्मों में भी शामिल थी।
कितना हुआ था कलेक्शन
फिल्म के कलेक्शन की बात करें तो महंगी स्टार कास्ट के साथ सदाबहार गाने और शानदार सेट में इसे बिल्कुल खास बना दिया था। एक-एक सीन को बहुत बारीकी के साथ शूट किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय इसे बनाने में 9 लाख रुपए लगे थे जो आज के समय में 15 करोड़ से ज्यादा होते हैं। फिल्में अपनी लागत से कई गुना ज्यादा कमाई करते हुए 1.25 करोड रुपए कमा लिए थे। आज के द्वारा में यह कीमत 218 करोड़ होती है।
कैसी थी महल की कहानी
फिल्म की कहानी पुनर्जन्म और रहस्य के युद्ध घूमती हुई बताई गई थी। इसमें शुरुआत में हरिशंकर यानी कि अशोक कुमार को दिखाया गया था। वह पुरानी हवेली में पहुंचता है जिसे महल कहा जाता है। यहां का चौकीदार उससे एक कपल की दुखद कहानी सुनाता है। वह बताता है कि किस तरह से नदी में डूबने से प्रेमी की मृत्यु हो जाती है और उसकी प्रेमिका कामिनी यानी की मधुबाला की भी जल्द मौत हो जाती है। यहां हरिशंकर को पता चलता है की हवेली का मालिक हूबहू उससे मिलता है। इसके बाद आगे बढ़ती हुई कहानी के साथ कई तरह की रहस्यमय घटनाएं होती हैं और कामिनी की आत्मा का आभास हरि को होने लगता है। यह डरावनी कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देगी।





