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Fri, Dec 19, 2025

इंडियन सिनेमा की पहली आवाज थी Zubeida Begum, राजघराने की बेड़ियां तोड़ बनी एक्ट्रेस, इंडस्ट्री को दिया नया आयाम

Written by:Diksha Bhanupriy
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अगर कोई आपसे पूछेगा कि इंडियन सिनेमा की पहली आवाज कौन सी थी तो शायद आप सोच में पड़ जाएंगे। आज हम आपको भारतीय सिनेमा की पहली आवाज बनी एक्ट्रेस जुबैदा बेगम के बारे में बताते हैं।
इंडियन सिनेमा की पहली आवाज थी Zubeida Begum, राजघराने की बेड़ियां तोड़ बनी एक्ट्रेस, इंडस्ट्री को दिया नया आयाम

हिंदी सिनेमा का इतिहास सदियों पुराना है। दर्शकों के मनोरंजन के लिए शुरू किया गया सिनेमा का यह दौरा आज सबसे बड़ी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में से एक के रूप में पहचाना जाता है। एक समय ऐसा था जब दर्शकों के लिए मूक फिल्में बनाई जाती थी यानी कि ना इसमें कोई डायलॉग होता था और ना ही साउंड। 1931 में आई आलम आरा ने इस दौर को खत्म किया और भारतीय सिनेमा को आवाज मिल गई।

यह इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की पहली टॉकी फिल्म थी और इससे पहले पर्दे पर मूक मूवीज का चलन था। निर्देशक आर्देशिर ईरानी ने बोलती फिल्मों का चलन शुरू किया। इस पहली फिल्म में नायिका के तौर पर जुबेदा बेगम को देखा गया जो सिनेमा की पहली आवाज बन गई। अब अगर कोई आपसे पूछे कि सिनेमा की पहली आवाज कौन था तो शायद आपके लिए इस सवाल का जवाब बताना इतना मुश्किल नहीं होगा। चलिए आज हम आपको जुबैदा के बारे में बताते हैं।

कौन थी जुबैदा बेगम (Zubeida Begum)

भारतीय सिनेमा को आवाज देने वाली जुबेदा बेगम सूरत के नवाब के घर 1911 में जन्मी थी। राजघराने की रानी होने की वजह से उनके परिवार में शुरू से ही परंपरा, पर्दा और पाबंदियों की बेड़िया थी जिसका उन्होंने सामना किया। हिंदी सिनेमा की एक्ट्रेस बनाकर उन्होंने इन वीडियो को तोड़ दिया और समाज के महिलाओं के प्रति नजरिया को पूरी तरह से बदल दिया। मुस्लिम परिवार से ताल्लुक होने के बावजूद भी उन्होंने अदाकारी का क्षेत्र चुनाव और वह भी उसे समय जब महिलाओं को मंच से कोसों दूर रखा जाता था। जुबैदा की इस कोशिश ने औरतों के लिए नए अवसर खोल दिए।

Zubeida Begum

कब शुरू हुआ करियर

1924 में गुल ए बकावली फिल्म से उन्होंने अपने एक्टिंग करियर को शुरू किया। हालांकि इससे पहले 12 साल की उम्र में उन्हें चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर कोहिनूर नाम की फिल्मों में देखा गया था। एक के बाद एक उन्होंने कहीं फिल्में की और लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई। लेकिन जब वह बोलती फिल्म आलम आरा का हिस्सा बनी तो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में उन्होंने अपना नाम दर्ज करवा लिया। उन्हें मनोरमा, काला चोर, रामसरोवर, देवदासी, इंद्रजाल, देवदास, मीरा बाई जैसी फिल्मों में काम करते हुए देखा गया।

शादी के लिए बदला धर्म

आपको जानकर हैरानी होगी की पारिवारिक बेड़ियों को तोड़कर एक्टिंग की राह चुनने के बाद जब बात निजी जीवन की आई। तब भी जुबैदा ने वही किया जो वह चाहती थी। उन्होंने धर्म बदलकर हैदराबाद के महाराज नरसिंगिर धनराजगीर ज्ञान बहादुर से शादी की। 1987 में 77 साल की उम्र में मुंबई के धनराज पैलेस में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हालांकि अपने पीछे वह सिनेमा को एक बहुत बड़ा तोहफा विरासत के तौर पर देकर गई।

आलम आरा ने बदली सिनेमा की सूरत

जब आलम आरा को पहली बोलती फिल्म के तौर पर रिलीज किया गया। उसके बाद धीरे-धीरे सिनेमा की शक्ल बदलती चली गई। जुबैदा की आवाज को लोगों ने सुना और महसूस किया। यह आवाज इंडियन सिनेमा के बदलते हुए वक्त की कहानी कह रही थी। बता दें कि 14 मार्च 1931 में आलम आरा मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा में लगी थी। 94 साल बाद भी ये फिल्म लोगों के बीच चर्चित है।