भारतीय सिनेमा में जब भी वर्दी पहने किसी ईमानदार पुलिस अफसर की छवि की बात होती है, तो सबसे पहले नाम आता है जगदीश राज का। उन्होंने करीब 250 फिल्मों में काम किया, लेकिन 144 बार पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाकर उन्होंने इतिहास रच दिया। यही वजह है कि उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। ‘शोले’, ‘डॉन’, ‘दीवार’, ‘मेरा गांव मेरा देश’ और ‘देवर’ जैसी फिल्मों में उनका किरदार भले छोटा रहा, लेकिन उनकी मौजूदगी हर सीन को खास बना देती थी। उनके अभिनय में एक गंभीरता थी, जो दर्शकों को यह यकीन दिला देती थी कि वो असली पुलिस वाले हैं।
आपने भी कई फिल्मों में पुलिस की वर्दी पहने किसी न किसी को देखा होगा। लेकिन आज भी जब वर्दी की बात आती है तो जगदीश राज का चेहरा दिखाई देता है। वैसे तो दुनिया में ऐसे कई रिकॉर्ड हैं लेकिन एक्टिंग की दुनिया के इस बादशाह ने यह स्पेशल रिकॉर्ड बनाया है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नाम
दरअसल जगदीश राज का ये रिकॉर्ड सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि उनके टैलेंट और डेडिकेशन का सबूत है। 1950 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक उन्होंने जिस कंसिस्टेंसी से एक ही तरह का रोल निभाया, वो आज के दौर में बहुत कम देखने को मिलता है। ‘ईमानदार पुलिस अफसर’ के रूप में वो इतने फिट बैठते थे कि डायरेक्टर्स उन्हें बार-बार उसी रोल के लिए साइन करते रहे। उनकी भारी आवाज़, सादा लेकिन असरदार डायलॉग डिलीवरी और शांत चेहरा दर्शकों के मन में छप गया। टाइपकास्टिंग अक्सर एक्टर्स के करियर को सीमित कर देती है, लेकिन जगदीश राज ने इसे अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने कभी लीड रोल में काम नहीं किया, लेकिन उनके साइड रोल लीड किरदारों से कम नहीं लगते थे। उन्होंने ‘कटी पतंग’, ‘त्रिशूल’, ‘जंजीर’ जैसी फिल्मों में भी असरदार भूमिकाएं निभाईं।
फिल्मों से रिटायरमेंट
दरअसल 1992 में फिल्मों से रिटायरमेंट लेने के बाद जगदीश राज लाइमलाइट से दूर हो गए। उनकी ज़िंदगी के आखिरी साल बेहद शांत बीते। हालांकि, वो सांस संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे, जिसकी वजह से 28 जुलाई 2013 को उनका निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही हिंदी सिनेमा के एक अहम दौर का भी अंत हो गया। उनकी बेटी अनीता राज भी बॉलीवुड की जानी-पहचानी अदाकारा रहीं। उन्होंने भी 80-90 के दशक में कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। पिता और बेटी, दोनों ने अपने-अपने अंदाज़ में फिल्म इंडस्ट्री में एक मुकाम बनाया।
जगदीश राज का नाम आज भी जब “पुलिस वाले किरदार” की बात होती है, तो सबसे पहले लिया जाता है। उन्होंने ये साबित किया कि किसी भी रोल को अगर ईमानदारी और डेडिकेशन से निभाया जाए, तो वो हमेशा याद रखा जाएगा चाहे वो लीड हो या सपोर्टिंग।