सुरों के सरताज A R Rahman आज मना रहे 58वां जन्मदिन, जानें उनके अनसुने किस्से

A R Rahman का असली नाम ‘दिलीप चंद्रशेखर’ है। उनका जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। वो अक्सर अपने परिवार के साथ अपनी खास तस्वीरें और वीडियो पोस्ट कर फैंस के साथ जुड़े रहते हैं। फैंस भी उनके हर पोस्ट को उनके गानों की तरह प्यार देते हैं।

Sanjucta Pandit
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A R Rahman 58 Birthday : आज गायक ए आर रहमान अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपनी आवाज का जलवा बिखेर चुके हैं। ए आर रहमान को सुरों का सरताज कहा जाता है। उनके गाने लगभग हर लोगों की प्लेलिस्ट में सुनने को मिलती है। सिंगर को बचपन से ही गाने का काफी ज्यादा शौक था और पिताजी से उन्हें संगीत विरासत में मिल गई थी।

आज उनके जन्मदिन के मौके पर बॉलीवुड सुपरस्टार्स और सिंगर उन्हें सोशल मीडिया पर बधाइयां दे रहे हैं। सिंगिंग करियर में उन्होंने बॉलीवुड, साउथ इंडियन से लेकर हॉलीवुड की मूवीस में अपना योगदान दिया है। एआर रहमान का असली नाम ‘दिलीप चंद्रशेखर’ है। उनका जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था।

इन अवार्ड्स से किया जा चुके हैं सम्मानित

ए आर रहमान को साल 2009 में ऑस्कर विनर घोषित किया गया था। जब उन्होंने फिल्म सलाम डॉग मिलियनेयर के लिए जय हो गीत गाया था। इसके लिए उन्हें बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अकादमी अवार्ड भी मिला था। इसके अलावा, वह ग्रैमी अवार्ड और पद्मश्री से भी नवाजे जा चुके हैं। उनके गीत कानों को ही नहीं बल्कि सीधे दिल को छू जाती है।

पैंसों की तंगी से जूझे थे सिंगर

आज उनके जन्मदिन पर हम आपको उनके जीवन का एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहे हैं, जो उनके पर्सनल लाइफ से जुड़ी है। दरअसल, एक समय ऐसा था जब वह पैसों की तंगी से जूझ रहे थे। हालांकि, हर किसी के जीवन में उतार चढ़ाव लगा रहता है, लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा समय भी आया था, जब उन्हें अपनी बेस कीमती चीजें बेचनी पड़ी थी। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और दिन-रात मेहनत करते गए। धीरे-धीरे वह उनकी आवाज का जादू पूरी दुनिया पर चला और आज वह अपनी लाइफ बहुत अच्छे से गुजार रहे हैं।

 

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इस वजह से बदला धर्म

रहमान को संगीत विरासत में मिली है। उनके पिता आरके शेखर मलयालम फिल्मों के फेमस म्यूजिक अरेंजर थे। अपने पिता के साथ वो वे म्यूजिक स्टूडियो में घंटों बिताते थे। इस दौरान उन्होंने कई म्यूजिक इक्विपमेंट भी बजाना सीखा लेकिन इसी बीच उनके पिता की मौत हो गया जिस वक्त वो बहुत कम उम्र के थे। उस बुरे दौर में उनकी बहन को एक गंभीर बीमारी ने घेर लिया था काफी इलाज के बाद भी उसके स्वास्थ पर ज्यादा असर नहीं पड़ रहा था। तभी रहमान की मां एक फकीर से मिली, जिससे उनकी बहन स्वस्थ हो गई। इसके बाद रहमान का फकीर, दरगाह और इस्लाम के प्रति आस्था बढ़ गई।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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