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Mon, Dec 8, 2025

बुझती हुई माचिस की तीली पर लिखा गया, 1972 का रोमांटिक और दर्द भरा सबसे पॉपुलर गाना

Written by:Sanjucta Pandit
किसी सिचुएशन में खड़े होकर दिमाग लगाना, और फिर उसे शब्दों में पिरोकर गाना बनाना बहुत ही कठिन काम है, लेकिन आनंद बक्शी ने इसे भी मुमकिन कर दिखाया। उन्होंने एक ऐसा गाना क्रिएट किया, जिसने फिल्म इंडस्ट्री में इतिहास रच दिया।
बुझती हुई माचिस की तीली पर लिखा गया, 1972 का रोमांटिक और दर्द भरा सबसे पॉपुलर गाना

बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक शानदार फिल्में, गाना पॉपुलर हुए हैं। इन सभी का अपना एक अलग क्रेज देखने को मिला है। कुछ फिल्में गीत की बदौलत ही सुपर डुपर हिट हो जाती थीं, वहीं कुछ की कहानी दमदार हुआ करती थी। हालांकि आज हम आपको 1972 के सबसे पॉपुलर गीत के बारे में बताएंगे, जिसे आनंद बक्शी के सफल गीतों में से एक माना जाता है।

आनंद बक्शी ने एक से बढ़कर एक गीत लिखे हैं, लेकिन एक गीत उन्होंने ऐसा लिखा जो सबसे ज्यादा रोमांटिक और दर्द भरा गाना है। इसे आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में पाया जाता है।

किशोर कुमार ने दी आवाज

बरसाती सावन और तेज हवाओं के बीच एक बुझती हुई माचिस की तीली पर लिखा गया यह गीत उस ज़माने का सबसे पॉपुलर गीत रह चुका है। दरअसल इस गाने को लिखने के पीछे भी एक बड़ी कहानी है। तेज बारिश और माचिस की बुझती हुई तीली ने अपना काम किया और आनंद बक्शी के दिमाग में यहीं से सैड सॉन्ग की शुरुआत हुई, जिसके बोल “चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए, सावन जो अग्नि लगाए तो उसे कौन बुझाए” लिख डाला। जिसे किशोर कुमार ने अपनी आवाज दी। आज भी यह गाना लोग गुनगुनाते हैं। इस गाने को राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की जोड़ी पर फिल्माया गया था।

ऐसे लिखा गया गीत

दरअसल, शक्ति सामंत, राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर के साथ फिल्म “अमर प्रेम” बना रहे थे। तभी एक पार्टी के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर गीतकार आनंद बक्शी से हुई। तभी शक्ति ने आनंद बक्शी से अपनी फिल्म के लिए इमोशनल गाना लिखने के लिए कहा और उन्होंने सीन की सिचुएशन को अच्छी तरह से समझा दिया। पार्टी देर रात तक चली। सभी अपने घर को चले गए, वहीं शक्ति सामंत ने आनंद बक्शी को अपनी गाड़ी में साथ बिठाया और घर के लिए रवाना हुए।

माचिस की तीली पर लिखा गाना

पार्टी से बाहर निकलते ही बाहर का नज़ारा बहुत ही ज्यादा जबरदस्त था। तेज बारिश, तूफान और तेज हवाओं के बीच, आकाश में गरजते बादल, मानो ऐसा जैसे कोई जन्नत हो। आनंद बक्शी पार्टी के सुरूर में डूबे हुए थे और ऐसा मौसम देखकर उन्हें सिगरेट सुलगाने की तलब हुई। इसके लिए उन्होंने अपनी जेब से माचिस की डिबिया निकाली और जैसे ही माचिस जलाकर सिगरेट सुलगाने की कोशिश करते, वैसे ही हवा और बारिश से वह बुझ जाती। ऐसे में उन्होंने आधी माचिस की डिबिया खत्म कर दी। तभी उनके दिमाग में एक ख्याल आया और वह गाड़ी में बैठे शक्ति सामंत से कागज़ और पेन देने की बात कही।

बस इसी तरह अमर प्रेम फिल्म के लिए यह गाना लिखा गया, जो कि 1972 का सबसे पॉपुलर गाना रहा। इस गाने में राजेश और शर्मिला की जोड़ी ने चार चांद लगा दिए। दर्शकों के बीच यह उनका फेवरेट सॉन्ग बन चुका था।