पंजाब 95, जो मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा की जिंदगी पर बनी है, दो साल से सेंसर बोर्ड के चक्कर में फंसी है। बोर्ड ने फिल्म में 127 कट्स लगाने को कहा है, जिसमें खालड़ा का नाम, पंजाब पुलिस का जिक्र और ऐतिहासिक तथ्य हटाने की मांग शामिल है, डायरेक्टर हनी त्रेहान ने साफ कहा कि इतने कट्स के बाद ये उनकी या दिलजीत दोसांझ की फिल्म नहीं रह जाएगी।
यह फिल्म 1980 और 1990 के समय में पंजाब में हुए मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर बनाई गयी है, जसवंत सिंह खालड़ा ने हजारों बेगुनाह सिखों की गैर-कानूनी हत्याओं का पर्दाफाश किया था। इसमें दिलजीत ने खालड़ा का रोल बखूबी निभाया है। लेकिन सेंसर बोर्ड ने कई सीन को हटाने की शर्त रखी, जैसे गुरबानी की आवाज, भारतीय झंडे की तस्वीरें और कुछ खास जगहों के नाम। हनी त्रेहान ने बताया कि बोर्ड ने कोई ठोस वजह नहीं दी, और बिना कोर्ट के ऑर्डर के वो ये कट्स नहीं मानेंगे। फिल्म को पहले टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाना था, लेकिन भारत सरकार के दबाव में इसे हटा लिया गया।
सेंसर बोर्ड ने की है ये मांगे
सेंसर बोर्ड ने फिल्म से 25,000 हत्याओं का जिक्र हटाने को कहा, जो खालड़ा की जांच का अहम हिस्सा था। बोर्ड ने ये भी मांग की कि फिल्म को फिक्शन करार दिया जाए, जबकि ये सारी डिटेल्स पब्लिक रिकॉर्ड में मौजूद हैं। त्रेहान ने कांन्स में एक प्राइवेट स्क्रीनिंग के दौरान बताया कि शुरू में 21 कट्स की बात थी, जो बाद में 85 और फिर 127 तक पहुंच गई। बोर्ड ने खालड़ा का नाम बदलने और पंजाब पुलिस को न दिखाने की शर्त भी रखी। त्रेहान का कहना है कि ये मांगें न सिर्फ बेतुकी हैं, बल्कि सच्चाई को दबाने की कोशिश हैं।
दिलजीत और त्रेहान ने रखी अपने दिल की बात
दोसांझ ने इंस्टाग्राम लाइव में साफ कर दिया कि वो तभी फिल्म का सपोर्ट करेंगे, जब ये बिना किसी कट के रिलीज होगी। उन्होंने कहा कि कट्स के साथ फिल्म का मकसद ही खत्म हो जाएगा। हनी त्रेहान ने भी यही स्टैंड लिया, और कहा कि अगर कट्स लगे, तो वो अपना नाम डायरेक्टर के तौर पर हटा लेंगे। दोनों का मानना है कि ये फिल्म खालड़ा की शहादत को सम्मान देने के लिए है, और इसे दबाने की कोशिश गलत है। जनवरी 2025 में फिल्म का इंटरनेशनल रिलीज प्लान था, लेकिन अनजान कारणों से इसे टाल दिया गया।





