मुकेश तिवारी का वो किरदार, जिसने 50 दिन नहाए बिना बना दिया सुपरस्टार! लोगों को आज भी लगता है डर

बता दें कि इस रोल को जिसने निभाया था। यह उनकी पहली फिल्म थी। इस किरदार में डालने के लिए एक्टर ने काफी मेहनत भी की थी।

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक मूवी और सुपरस्टारों ने लोगों का दिल जीत है। इनमें हीरो के साथ-साथ विलन का भी महत्वपूर्ण रोल होता है। आज हम आपको ऐसे ही एक विलन से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। जिनकी दमदार एक्टिंग आज भी लोगों के दिमाग में बैठी हुई है। इसके डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर है।

बता दें कि इस रोल को जिसने निभाया था। यह उनकी पहली फिल्म थी। इस किरदार में ढ़लने के लिए एक्टर ने काफी मेहनत भी की थी।

गब्बर

दरअसल, फिल्म शोले को रिलीज हुए 27 साल बीत चुके हैं। जिसमें खलनायक की भूमिका अदा करने वाले जगीरा की आज हम बात कर रहे हैं, जिसे मुकेश तिवारी ने निभाया था। उनकी दमदार एक्टिंग के कारण लोग शोले के गब्बर को नहीं भूल पाए। मुकेश तिवारी ने इस फिल्म में डाकू का रोल प्ले किया था, जो पहाड़ों में रहता था। वह हर किसी गांव पर खुद का कब्जा जमाए हुए था। दिनदहाड़े उसके गुंडे लोगों को परेशान किया करते थे। मीडिया सूत्रों के अनुसार, इस किरदार को असल में लोगों तक पहुंचाने के लिए मुकेश ने करीब 50 दिन तक नहाया नहीं था। वह गंदे दिखाना चाहते थे, ताकि जगीरा का लुक और भी डरावना लगें। बदबू से बचने के लिए वह हमेशा परफ्यूम का इस्तेमाल करते थे।

मंडराते थे चील

आपको जानकारी आश्चर्य होगा की शूटिंग के दौरान पहाड़ों पर चल और कौवे भी उनके आसपास मंडल आने लगते थे उन्होंने नहीं दाढ़ी बनाए, ना हीं बाल कटवाए थे। आलम यह था कि लोग उन्हें देखकर डर जाते थे और वहां से भाग में लगते थे। इस किरदार को निभाकर मुकेश तिवारी रातोंरात में सुपरस्टार हो गए। हालांकि, इसके बाद भी उन्हें इंडस्ट्री में 2 साल तक काम नहीं मिला। इस रोल में वह इतनी पसंद किए गए थे, लोग आज भी उन्हें गब्बर के नाम से जानते हैं।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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