बॉलीवुड की ये हसीना 8 रुपये में चलाती थी अपना खर्चा, भूख लगने पर पानी पीकर चलाया काम, लेकिन आज है फिल्मों की भरमार!

बॉलीवुड एक्ट्रेस नुसरत भरुचा ने अपने कॉलेज के मुश्किल दिनों की कहानी शेयर की। 8 रुपये में दिन गुजारने वाली ये एक्ट्रेस भूख लगने पर पानी पीकर काम चलाती थी। आज वो ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी हिट फिल्मों की स्टार हैं। उनकी ये जर्नी हर किसी को प्रेरणा देगी। आइए, जानें पूरा किस्सा।

बॉलीवुड एक्ट्रेस नुसरत भरुचा ने अपने कॉलेज टाइम की तंगहाली का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि मुंबई के जय हिंद कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनके पास सिर्फ 8 रुपये होते थे, जिसमें पूरा दिन निकालना पड़ता था। भूख लगने पर पानी पीकर पेट भरती थीं। आज वो बॉलीवुड की चमकती स्टार हैं, जिनके पास ‘प्यार का पंचनामा’ और ‘छलांग’ जैसी फिल्मों की लाइन लगी है। उनकी ये कहानी मेहनत और हिम्मत की मिसाल है।

नुसरत भरुचा, जिन्हें आज बॉलीवुड में ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ और ‘प्यार का पंचनामा’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है, ने अपने कॉलेज के मुश्किल दिनों की बात शेयर की। एक ताजा इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मुंबई के जय हिंद कॉलेज में पढ़ाई के वक्त उनके पास दिनभर के लिए सिर्फ 8 रुपये होते थे। इतने कम पैसे में खाना खरीदना तो दूर, बस का किराया भी मुश्किल से निकलता था। नुसरत ने कहा, “भूख लगती थी तो पानी पीकर पेट भरना पड़ता था।” वो घरवालों से पैसे मांगने में हिचकती थीं, क्योंकि खुद पर निर्भर रहना चाहती थीं। दोस्तों की मदद और छोटे-मोटे कामों से वो अपना खर्च चलाती थीं। इन तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज वो बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस हैं। उनकी ये जर्नी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो कम संसाधनों में बड़े सपने देखता है।

8 रुपये में कैसे गुजारा करती थीं नुसरत?

नुसरत ने जय हिंद कॉलेज, मुंबई में पढ़ाई की, जहां उनकी जेब में दिनभर के लिए सिर्फ 8 रुपये होते थे। उन्होंने बताया कि इतने कम पैसों में कॉलेज की कैंटीन में लंच खरीदना नामुमकिन था। कई बार दोस्त उनकी मदद करते, तो कई बार भूख लगने पर वो बस पानी पीकर काम चलाती थीं। नुसरत ने कहा, “उस वक्त जिंदगी ने बहुत सिखाया। हर दिन एक नई लड़ाई थी।” वो परिवार से पैसे मांगने से बचती थीं, क्योंकि उन्हें खुद की मेहनत पर भरोसा था। कॉलेज में वो थिएटर और एक्टिंग की प्रैक्टिस करती थीं, जो उनके सपनों को जिंदा रखने का जरिया था। ये मुश्किल दिन उनके करियर की नींव बने।

कॉलेज से बॉलीवुड तक का सफर

नुसरत की जिंदगी में कॉलेज के बाद भी कई चुनौतियां आईं। उन्होंने छोटे-छोटे ऑडिशन दिए और 2006 में ‘जय संतोषी मां’ में छोटा रोल किया। 2011 में ‘प्यार का पंचनामा’ ने उन्हें पहचान दी, और फिर ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ ने बॉलीवुड में उनकी धाक जमा दी। नुसरत ने बताया कि कॉलेज के वो 8 रुपये वाले दिन उन्हें जिंदगी की कीमत सिखाते थे। आज वो न सिर्फ फिल्मों में बल्कि कई बड़े ब्रैंड्स के लिए भी काम करती हैं। उनकी फिल्मों की लाइन लगी है, और वो ‘छलांग’, ‘जनहित में जारी’ जैसी मूवीज से फैंस का दिल जीत रही हैं। उनकी कहानी ये सिखाती है कि मेहनत से कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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