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Sat, Dec 20, 2025

नहीं रहे अनुभवी बंगाली अभिनेता मनोज मित्रा, 85 की उम्र में हुआ निधन, सत्यजीत रे की फिल्मों में भी किया काम

Written by:Rishabh Namdev
Published:
अनुभवी कलाकार और बंगाली अभिनेता मनोज मित्रा का निधन हो गया। उन्होंने 85 की उम्र में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। मनोज मित्रा प्रसिद्ध थिएटर आर्टिस्ट है। थिएटर आर्टिस्ट के रूप में उन्होंने अपने जीवन में एक अलग पहचान बनाई।
नहीं रहे अनुभवी बंगाली अभिनेता मनोज मित्रा, 85 की उम्र में हुआ निधन, सत्यजीत रे की फिल्मों में भी किया काम

मंगलवार को अनुभवी बंगाली अभिनेता मनोज मित्रा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 85 की उम्र में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। दरअसल लंबे समय से उन्हें उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरना पड़ रहा था। जिसके चलते वे पिछले कुछ समय से अस्पताल में भर्ती थे। मनोज मित्रा ने थिएटर आर्टिस्ट के रूप लंबे समय से काम किया। जिससे उन्होंने एक अलग पहचान बनाई। जानकारी के मुताबिक उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

मनोज मित्रा सांस लेने में कठिनाई के अलावा सोडियम और पोटेशियम के स्तर में असंतुलन की परेशानी भी थी। जिसके चलते उनकी तबीयत ठीक नहीं हो सकी। मंगलवार सुबह उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। जानकारी के अनुसार उन्होंने करीब सुबह 8.50 बजे इस दुनिया को अलविदा कहा।

जानिए कौन थे मनोज मित्रा?

मनोज मित्रा के जीवन पर नजर डालें तो उनका जन्म 22 दिसंबर, 1938 को धूलिहार (उस वक्त अविभाजित बंगाल) में हुआ था। मनोज मित्रा ने अपने करियर की शुरुआत 1957 में कोलकाता के थिएटर दृश्य से की थी। वहीं मनोज मित्रा ने 1979 में बड़े पर्दे पर डेब्यू किया था। इसके बाद उनके फिल्मी करियर को पंख लगे और उनका शानदार करियर शुरू हुआ। उन्होंने तपन सिन्हा की फिल्म ‘बंचरामेर बागान’ में बहुत ही शानदार काम किया। जिसके बाद उन्हें एक अलग पहचान मिली। मनोज मित्रा ने सत्यजीत रे की क्लासिक्स ‘घरे बाइरे’ और ‘गणशत्रु’ में भी मुख्य भूमिका निभाई।

शानदार काम से जीते कई पुरूस्कार

अपने शानदार काम के चलते उन्होंने समाज में एक अलग पहचान बनाई। उनका फिल्मी करियर बहुत ही लंबा रहा और शानदार रहा। उन्होंने ने अपने करियर के दौरान बुद्धदेब दासगुप्ता, बसु चटर्जी, तरुण मजूमदार, शक्ति सामंत और गौतम घोष जैसे बड़े निर्देशकों के साथ काम कर लोगों का मनोरंजन किया। इसके साथ ही उन्होंने न केवल अभिनव में बल्कि एक लेखक के तौर पर 100 से अधिक नाटक लिखे। जिसके चलते उन्होंने अपने जीवन में कई पुरूस्कार जीते। मनोज मित्रा को 1985 में सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए भी नवाजा गया था।